
आनंदेश्वर मंदिर एक नजर
स्थापना महाभारत काल की
प्रमुख देवता भगवान शिव
स्थान परमट कानपुर नगर
प्रमुख पुजारी अजय पुजारी
आनन्देश्वर मंदिर परमट कानपुर में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध शिव मंदिर है जो कि भारत की प्रसिद्ध जूना अखाड़ा से संबंधित माना गया है। यह भक्तों की सभी मनोकामना को पूर्ण करने वाला भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यहां पर भक्तों की भीड़ प्रतिदिन देखी जा सकती है। कानपुर ही नहीं परमट स्थित आनंदेश्वर मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। सोमवार के दिन यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ इस मंदिर की भव्यता और आस्था को दिखाने के लिए काफी है। तो आइए जानते हैं परमट मंदिर जिसको आनंदेश्वर मंदिर भी कहा जाता है उसके बारे में कुछ रोचक जानकारियां।
आनन्देश्वर मंदिर परमट का इतिहास(anandeshwar temple history in hindi)

इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना बताया जाता है कुछ लोगों का यह तथ्य है कि यह महाभारत काल के पहले का बनाया हुआ मंदिर है यह मंदिर गंगा के तट पर करीब 3 एकड़ के विशाल क्षेत्र में बना हुआ है आनंदेश्वर मंदिर के विषय में कहा जाता है कि इस जगह पर एक विशाल टीला हुआ करता था जिसके आसपास उस समय के एक राजा की कई गाय चरने के लिए आती थी उन्हीं सभी गायों में से एक गाय थी जिसका नाम था आनंदी।
आनंदी गाय प्रतिदिन उस टीले पर जाकर बैठ जाती थी और जब वहां से वह चलने लगती थी उससे पहले वह अपना सारा दूध उसी टीले पर गिरा देती थी। कई दिन बीत जाने के पश्चात जब वहां के चरवाहे ने देखा तो वह उसने राजा को यह सूचना दी राजा ने इस कौतूहल भरे विषय को देखने के लिए स्वयं वहां जाने का निश्चय किया कई दिनों तक आनंदी गाय के इस तरह से दूध बहा देने की घटना को देखकर वह आश्चर्यचकित हो गए और उन्होंने उस टीले की खुदाई करवाने का आदेश दिया।
2 दिनों तक निरंतर खुदाई करने के पश्चात उस टीले के अंदर से एक विशाल शिवलिंग निकला भोलेनाथ का शिवलिंग देखकर राजा ने उस शिवलिंग की स्थापना उसी स्थान पर करने का निश्चय किया और विधि पूर्वक उस शिवलिंग का रुद्राभिषेक करवाया । रुद्राभिषेक करवाने के बाद उस शिवलिंग पर आनंदी गाय ने भी अपना दूध बहाना बंद कर दिया ऐसे में उस स्थान पर मिले शिवलिंग का नाम आनंदी गाय के नाम पर आनंदेश्वर शिवलिंग रखा गया तब से यह शिवलिंग आज भी विराजमान है और श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है।
एक अन्य कथा के अनुसार यह कहा जाता है कि यहां पर कुंती पुत्र कर्ण भी पूजा करने के लिए प्रतिदिन आते थे वह श्री गंगा जी में स्नान करने के पश्चात इस टीले पर जाकर भगवान शिव की पूजा आराधना करते थे और अंतर्ध्यान हो जाते थे। उस समय में सिर्फ करण को या बात किया था कि इस टीले के नीचे भगवान शिव विराजमान है। इसीलिए वह निशदिन इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के लिए आते थे।
उनकी इस पूजा को आनंदी गाय ने देखा था और इसके पश्चात वह वहां गई जिसके बाद उसका सारा दूध शिवलिंग पर चढ़ गया जिससे वह प्रतिदिन वहां पर जाने लगी। यह सब देख कर उस टीले की खुदाई करने के पश्चात एक विशाल शिवलिंग मिला जिस शिवलिंग की विधिवत पूजा अर्चना और रुद्राभिषेक करने के पश्चात स्थापना की गई।
कई लोगों का यह मानना है कि यह छोटा काशी है यहां पर भगवान शिव साक्षात रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। और उनके समस्त कष्टों का निवारण करते हैं।

आनंदेश्वर मंदिर के आसपास होटल और रेस्टोरेंट(Hotels and restaurants around Anandeshwar temple in Hindi)
आनंदेश्वर मंदिर परमट के आसपास कई प्रकार के रेस्टोरेंट आपको मिल जाएंगे। जहां पर क्षेत्रीय निवासी अपनी छोटी बड़ी कई प्रकार की दुकान सजा कर ग्राहकों का स्वागत करते हैं। इसके अलावा आनंदेश्वर मंदिर परमट प्रमुख शहर से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर है। आनंदेश्वर मंदिर परमट से कुछ दूरी पर ही आपको होटल्स उपलब्ध होते हैं।
आनंदेश्वर मंदिर परमट मंदिर खुलने का समय(Anandeshwar Temple Parmat Temple Opening Time in Hindi)
दोस्तो आनंदेश्वर मंदिर श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे खुला रहता है। इस मंदिर में दो बार भगवान शिव की आरती की जाती है। यह भारत के कुछ मंदिरों में से एक है जहां पर श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे मंदिर के पट खुले रहते हैं।
कानपुर के पनकी में स्थित पनकी हनुमान मंदिर जहां हनुमान जी सभी भक्तों की मुरादे पूरी करते हैं
आनंदेश्वर मंदिर परमट के आसपास का सुंदर प्राकृतिक नजारा
आनंदेश्वर मंदिर जहां पर पहुंचकर भक्त अपने आप को भगवान शिव और मां गंगा के बेहद समीप महसूस करता है वहां के आसपास का नजारा बड़ा ही विहंगम और शांतिपूर्ण हैं। एक तरफ बहती हुई मां गंगा और दूसरी तरफ बम बम भोले हर हर भोले के जयकारों से गूंजता हुआ आनंदेश्वर मंदिर हर किसी को भगवान शिव की भक्ति के माहौल में घोल देता है।
आनंदेश्वर मंदिर पहुंचने पर आपको भगवान शिव ही शिव नजर आते हैं। आपको आसपास की सभी दुकानों पर भगवान शिव से संबंधित सामग्रियां बिक्री के लिए मिल जाएंगे। सोमवार के दिन तो यहां पर मेले जैसा माहौल होता है। श्रद्धालुओं को शिव जी के दर्शन करने के लिए 4 से 5 घंटे तक लाइन में लगना पड़ता है। भगवान शिव को समर्पित करने के लिए भक्त दूध और फूल लेकर लाइन से भगवान शिव के शिवलिंग की पूजा अर्चना करते हैं। आनंदेश्वर मंदिर परमट में 365 दिन भंडारा चलता रहता है जो कि अपने आप में एक विशेष बात होती है।
आनंदेश्वर मंदिर परमट के सामने बहती हुई गंगा पर वोटिंग का आनंद लें
जी हां अगर आप बाबा आनंद ईश्वर जी के दर्शन करने के पश्चात मां गंगा के दर्शन करने की इच्छा रखते हैं तो मंदिर के ठीक सामने गंगा नदी में होने वाली वोटिंग का बिल लुफ्त उठा सकते हैं। यहां पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए नाव के द्वारा वोटिंग कराई जाती है। काफी अधिक संख्या में लोग बाबा के दर्शन करने के पश्चात वोटिंग का लुफ्त उठाने के लिए भी यहां जाते हैं।

आनंदेश्वर मंदिर परमट कैसे पहुंचे?(how to reach Anandeshwar temple in Hindi)
दोस्तों अगर आप आनंदेश्वर मंदिर परमट पहुंचना चाहते हैं तो हम आपको जानकारी दे दे कि आनंदेश्वर मंदिर परमट कानपुर सेंट्रल से मात्र 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित है आप यहां पर प्राइवेट टैक्सी या कैब के माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं।
धार्मिक स्थलों और प्रमुख पर्यटन केंद्रों के बारे में जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट पर बने रहें हम आपको निरंतर जानकारियां देते रहेंगे।
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