
मध्य प्रदेश का खूबसूरत राज्य उज्जैन जिसका नाम सुनकर ही सभी भक्तों के भगवान शिव की याद आ जाती है यहां पर भगवान शिव का 12 ज्योतिर्लिंग में से 1 ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर का भी मंदिर विराजमान है पुराणों में भी इस पवित्र स्थल की विस्तृत रूप से चर्चा की गई है
उज्जैन को पृथ्वी का स्वर्ग माना गया है और इस विषय पर तर्क भी दिया गया है कहा गया है कि दुनिया में सिर्फ यही स्थान है जहा ज्योतिर्लिंग भी है और सिद्ध पीठ भी, यहां पर
उज्जैन के बारे में कहा जाता है कि यहां पर शमशान उसर क्षेत्र और पीठ यह पांच सयोग पूरे वर्ल्ड में केवल यहीं पर उपलब्ध है। यह संयोग ही उज्जैन की महिमा का बखान करते हैं मोक्षदायिनी नदी शिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ सुंदर शहर आकर्षक मंदिरों आराधना स्थलों आदि से संगराज शृंगारिक हुआ है
यह स्थल अत्यंत पवित्र माना जाता है भगवान शिव के सबसे पवित्र और काल के रूप में महाकालेश्वर मंदिर यहां उपस्थित हैं इसके अलावा भी यहां पर अत्यंत प्राचीन और सुंदर मंदिर उपस्थित है जैसे हरसिद्धि देवी का मंदिर गोपाल मंदिर श्री राम जनार्दन मंदिर चार धाम मंदिर आदि आदि तो दोस्तों आइए देखते हैं उज्जैन में घूमने के लिए कुछ प्रमुख दर्शनीय धार्मिक स्थलों के बारे में
उज्जैन में घूमने लायक प्रमुख जगहें
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग( mahakaleshwar jyotirlinga in Hindi)

उज्जैन के शासक और महाराजाधिराज जी महाकाल को माना जाता है। दक्षिण मुखी शिवलिंग होने के कारण इसका तांत्रिक महत्त्व भी अधिक रूप से है। इन्हें कालचक्र के प्रवर्तक के रूप में माना जाता है। महाकाल ज्योतिर्लिंग को भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए भी जाना जाता है मध्य भारत में स्थित यह उज्जैन का ज्योतिर्लिंग अति प्राचीन होने के साथ-साथ विशेष महत्व भी रखता है
मंदिर का इतिहास(mahakal mandir ka itihas in hindi)
इस अति प्राचीन मंदिर का निर्माण राजा भोज के पुत्र उदयादित्य ने करवाया था यह मंदिर जीण होने के बाद इसका निर्माण पूरा 1734 में रामचंद्र राव सीरवी ने कराया था। इस दो मंजिला भव्य मंदिर में सबसे नीचे की तरफ महाकाल का विशाल शिवलिंग है और पहली मंजिल पर ओमकारेश्वर और दूसरी मंजिल पर नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा स्थित है।
इन तीनों प्रतिमाओं को दर्शन करने से ही भक्तों की सारी मुराद पूरी हो जाती है और प्रमुख रूप से गौर करने वाली बात यह है कि भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन वर्ष में केवल एक बार नाग पंचमी के विशेष दिवस पर किया जा सकता है। इस महाकाल के मंदिर में वृद्ध कालेश्वर सप्तर्षियों आदि देवी-देवताओं के अत्यंत प्राचीन और सिद्ध मंदिर स्थित है
महाकाल मंदिर भस्म आरती का समय(mahakal mandir mein bhasm aarti ka samay in hindi)
आपको जानकारी दे दें कि पूरे भारतवर्ष में सिर्फ यही एक ज्योतिर्लिंग है जिसकी आरती भस्म से होती है और ताजी चिता भस्म से प्रातः 4:00 बजे की जाती है। इस भस्मारती को देखने के लिए आपको विशेष बुकिंग करानी पड़ती है। इस विशेष आरती के समय इस मंदिर का पूरा वातावरण विशेष भक्तिमय और शिवमय में हो जाता है। इस विशेष आरती का भागी बनने के लिए श्रद्धालुओं को रात में 1:00 बजे से ही लाइन में लगना होता है। इसके लिए सबसे अच्छा यह रहेगा कि आप किसी पास के ही होटल में बुकिंग ले और अपने साथ एक आईडी कार्ड जरूर साथ में रखें।
सावन के पवित्र महीने में महाकालेश्वर की पूरे उज्जैन में सवारी निकाली जाती है। इस अवसर पर सभी प्रमुख शहरों से गुजरने वाली इस सवारी के लिए विशेष डिजाइनिंग बल्बों से पूरी सड़कों को सजा दिया जाता है। यह सवारी प्रतिदिन प्रांगण से निकलकर शिप्रा नदी के तट तक जाती है इस विशेष सवारी के दर्शन करने के लिए संपूर्ण देश से ही नहीं विदेशों से भी लोग महाकाल ज्योतिर्लिंग के इस अद्भुत रूप को दर्शन देखने के लिए उज्जैन आते हैं। सावन के महीने में उज्जैन में महाकाल के दर्शनों के लिए लाखों की संख्या में लोग आते हैं
श्री हरसिद्धि देवी का मंदिर(shri harshiddhi devi temple in hindi)

उज्जैन के प्रमुख रूप से जितने भी धार्मिक स्थल हैं उनमें श्री हरसिद्धि देवी का भी मंदिर अत्यंत प्राचीन और पवित्र माना जाता है .यह एक विशेष उपासना स्थल है इस प्राचीन स्थल का स्कंद पुराण में भी वर्णन है .यहां पर स्कंद पुराण में भी कहा गया है कि शिव जी के कहने पर ही मां भगवती ने दुष्ट दानों का वध करने के लिए इस रूप का उद्भव किया था तब से इनका नाम हरसिद्धि के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
और एक अन्य प्राचीन कथानक के अनुसार कहा जाता है कि सती माता की कोहनी यहीं पर गिरी थी। तो इस प्रकार इसे एक शक्तिपीठ की भी संज्ञा दी गई है माता हरसिद्धि देवी को भारत के सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य कुलदेवी भी माना जाता है।
मंदिर का इतिहास(harshidhhi devi mandir history in hindi)
इस मंदिर का इतिहास कितना प्राचीन है कि इसके विषय में तरह तरह के तथ्य सामने आते रहते हैं तथ्यों के अनुसार कहा जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य जी ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था इस मंदिर का कोई विशेष स्थापना का उल्लेख नहीं है विक्रमादित्य को इस मंदिर से विशेष लगाव था और हरसिद्धि देवी कोई अपना कुलदेवी मानते थे। तथ्यों के अनुसार कहा जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य ने यहां पर घोर तपस्या की थी|
माता हरसिद्धि देवी को प्रसन्न करने के लिए लगातार 11 बार अपना सिर काटकर उन्हें समर्पित कर दिया था। परंतु आश्चर्यजनक रूप से यह सिर बार-बार उनके शरीर से जुड़ता गया इस प्रकार मंदिर अत्यंत विशिष्ट बन गया। भक्तों की आस्था इस मंदिर से विशिष्ट रूप से जुड़ती चली गई और वर्तमान में यह उज्जैन के श्रेष्ठ मंदिरों में भी गिना जाने लगा है
इस भव्य मंदिर में एक गर्भ ग्रह एक यंत्र प्रतिष्ठित है जिसे श्री यंत्र कहा जाता है उसके नीचे कालिका लक्ष्मी आदि की मूर्तियां विराजमान है उज्जैन के रूद्र सागर तालाब के निकट इस मंदिर के चारों ओर से द्वार हैं और प्रांगण में दो विशाल दीपस्तंभ है जिन पर नवरात्रि में विशेष तौर पर दीपक जलाए जाते हैं।
इस मंदिर के एक कोने पर एक अति प्राचीन बावड़ी भी है इस मंदिर के पीछे अगस्त सेव महादेव का मंदिर और संतोषी माता का मंदिर विराजमान है। माता हरसिद्धि देवी के दर्शन करने के पश्चात संतोषी माता और अगस्त महादेव का दर्शन करने से भक्तों को उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
श्री बड़े गणेश जी का मंदिर(shree bade Ganesh ji temple in hindi)
उज्जैन के प्रसिद्ध मंदिरों में बड़े गणेश जी का भी मंदिर प्रसिद्ध रूप से धार्मिक आस्था का केंद्र है यह मंदिर उज्जैन के महाकाल मंदिर के प्रांगण के पीछे ही स्थित है इस मंदिर में गणेश जी की विशाल प्रतिमा विराजित है गणेश जी की विशाल प्रतिमा को देखकर भक्तगण अपने मन की मनोकामना ओं को गणेश जी के समक्ष रखते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान गणेश जी करते हैं
यह स्थान एक विशेष शिक्षण के कार्यों में भी विख्यात हो चुका है ज्योतिष और संस्कृत के एक विशेष केंद्र के रूप में है यह स्थान अब तक लाखों छात्रों को शिक्षा प्रदान कर चुका है और यह शिक्षा मुफ्त प्रदान की जाती है आपको जानकारी के लिए बता दें कि श्री नारायण विजय पंचांग का भी प्रकाशन प्रकाशन इसी स्थल से किया जाता है
मंदिर का इतिहास( ganesh mandir ka itihas in hindi)
उज्जैन के सुप्रसिद्ध मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है फिर भी है कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में महर्षि संदीपनी के वंशज एवं विश्व विख्यात ज्योतिष वेद स्वर्गीय नारायण जी व्यास के द्वारा कराया गया था क्योंकि यह स्थान व्यास जी का साधना स्थल भी रहता है इसी मंदिर में पंचमुखी हनुमान जी की अत्यंत सुंदर प्रतिमा विराजित है इस मंदिर के भीतरी भाग में नवग्रहों की मूर्तियां बी विराजित है
श्री राम जनार्दन मंदिर( shri ram janaradan mandir in hindi)

जैसा कि नाम से ही आपको पता चल रहा है कि यह मंदिर भगवान श्रीराम को आधारित है इस मंदिर में श्रीराम के साथ-साथ कृष्ण की भी खूबसूरत प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं इस मंदिर का जीर्णोद्धार लगभग 2 बार किया गया है इस मंदिर में अत्यंत प्राचीन प्रतिमाएं स्थापित है 11वीं शताब्दी में बनी हुई शेषनाग शेषनाग के साथ विराज विष्णु की और 10 वीं शताब्दी में गोवर्धन धारी भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमाएं विराजमान है इस प्राचीन मंदिर का निर्माण राजा जयसिंह के द्वारा कराया गया था यह मंदिर विष्णु सागर तट के किनारे स्थित है
श्री मंगल नाथ जी का मंदिर( shri mangal nath ji ka mandir ujjain in hindi)
मंगल नाथ जी का मंदिर उज्जैन में अति प्रसिद्ध है क्योंकि मत्स्य पुराण में भी कहा गया है कि मंगल ग्रह पथरी के पुत्र हैं भगवान मंगल की पूजा अर्चना की जाती है और यह मंदिर अति प्राचीन है पौराणिक मान्यता के अनुसार मंगल ग्रह की जन्मभूमि भी यही है यहां पर इनकी पूजा और आराधना के लिए भक्त दूर-दूर से यहां पर आते हैं
मंगलनाथ मंदिर में ग्रहों की शांति एवं मुक्ति धन प्राप्ति आदि के लिए मंगल की उपासना की जाती है विशेषकर मंगलवार के दिन यहां पर मंगल जी की दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या अधिक होती है खगोलीय दृष्टि से भी यह मंदिर अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है इस मंदिर की प्राचीनता का अंदाजा है यहीं से लगाया जा सकता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने गुरु महर्षि संदीपनी जी की गंगा स्नान करने की इच्छा को शांत करने के लिए गंगा जी को स्वयं प्रकट किया था
इस मंदिर के ही प्रांगण में शक्ति स्वरूपा मां जगदंबा की एक भव्य मूर्ति भी है जिसको भक्तगण पूजन स्वरूप सिंदूर का चोला चढ़ाते हैं यह मंदिर भक्तों एवं पर्यटकों के लिए भी विशेष आकर्षण का केंद्र है क्योंकि इसकी प्राचीनता और प्राचीन इतिहास भी विशेष समृद्ध है
उज्जैन के काल भैरव मंदिर( ujjain ke kalbhairav mandir in hindi)

उज्जैन के अति प्राचीन मंदिरों में काल भैरव मंदिर भी प्रमुख स्थान रखता है यह मंदिर भक्तों को सभी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए माना जाता है काल भैरव जोकि शिव शिव के ही एक अंश हैं उनकी यहां पर विशेष आराधना की जाती है
इस मंदिर की सबसे विशेष बात यह है कि काल भैरव की जो प्रतिमा है उस प्रतिमा में मुंह में छिद्र ना होते हुए भी यह प्रतिमा निशदिन पूजन अर्चन के समय मदिरापान करती है जब भी इस प्रतिमा के होठों पर मदिरा को लगाया जाता है तो मदिरा अपने आप समाप्त हो जाती है और या पूजन अर्चन सभी भक्तों के सामने किया जाता है लोगों में यह पूजन अर्चन विशेष कौतूहल का विषय होता है जिसको देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं
शिप्रा नदी के तट पर स्थित या प्राचीन मंदिर भक्तों के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है इस मंदिर में कर्णेश्वर महादेव विक्रांत भैरव के भी स्थान है इस मंदिर के नाम पर ही क्षेत्र का नाम भैरवगढ़ पड़ा
मंदिर का इतिहास( kalbhairav mandir ka itihas in Hindi)
इस प्राचीन मंदिर का निर्माण वहां के राजा भद्रसेन द्वारा कराया गया था यह मंदिर अत्यंत प्राचीन था इसकी अवस्था जीरो होने के बाद यहां के राजा जयसिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया इस मंदिर के प्रांगण में एक गहरी गुफा भी है इस गुफा के नीचे पाताल भैरवी का भी मंदिर है इस मंदिर का प्रयोग तांत्रिक सांसदों के लिए किया जाता है
संदीपनी मुनि का आश्रम( sandipani muni ka ashram ujjain in hindi)

यह आश्रम अति प्राचीन आश्रम है क्योंकि यह कहा जाता है कि यहां पर भगवान श्री कृष्ण और उनके सखा सुदामा और भैया बलराम ने अपने गुरु श्री संदीपनी मुनि के यहां यही पर शिक्षा दीक्षा ली थी इसी स्थान पर श्री कृष्ण 14 विद्या और 64 कला सीखी थी तथ्यों के आधार पर यह माना जाता है कि यहां पर तक्षशिला और नालंदा की तरह उज्जैन में भी शिक्षा का प्रमुख केंद्र था
महाभारत में भी इस स्थान का वर्णन किया गया है इस स्थान पर भगवान श्री कृष्ण ने अपने गुरु जी के लिए गोमती नदी का पानी उपलब्ध करा दिया था इस स्थान पर सरोवर कुंड जिसको गोमती कुंड के नाम से जाना जाता है यहां पर श्री कृष्ण बलराम और सुदामा की आकर्षक एवं भव्य मूर्तियां विराजमान है
ऐसा माना जाता है कि संदीपनी मुनि के वंशज आज भी यहां पर निवास करते हैं और प्रख्यात ज्योतिर्विदों के रूप में जाने जाते हैं इस क्षेत्र को अंकपात भी कहा जाता है कि यहां पर श्री कृष्ण जी पर लेख लिखते थे उसे मिटाने के लिए वह जल से धोते थे इसलिए इसे अंकपात नाम पड गया यहीं पर सिंहस्थ महाकुंभ का भी मेला आयोजित किया जाता है ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान है|
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श्री चार धाम मंदिर(shri chardham mandir ujjain in hindi)

आधुनिक आधुनिक समय का बना हुआ या मंदिर चार धाम मंदिर के नाम से विख्यात हो रहा है यह मंदिर श्री हरसिद्धि देवी मंदिर के प्रांगण में ही दक्षिण दिशा में स्थित है इस मंदिर के संस्थापक स्वामी शांति स्वरूपानंद जी और स्वामी परमानंद जी महाराज हैं
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर को इस प्रकार सजाया गया है कि भक्तों को चारों धाम की यात्राओं का और उन में विराजमान मूर्तियों का एक ही स्थान पर दर्शन हो सके इस मंदिर परिसर में ही एक सुंदर बगीचा है इसके पीछे के बाग में संत निवास तथा साधना आदि कार्यक्रम चलते रहते हैं उज्जैन नगर का भ्रमण और यहां के आने वाले पर्यटक इस चार धाम मंदिर में दर्शन करने जरूर आते हैं
गढ़ कालिका देवी मंदिर(gadhkalika mandir ujjain in hindi)

गढ़कालिका मंदिर अत्यंत प्राचीन मंदिर है इस मंदिर को महाकवि श्री कालिदास जी की आराध्य देवी का मंदिर माना जाता है कहा जाता है कि इस देवी की अनुकंपा से अल्पज्ञ कालिदास को ज्ञान प्राप्त हुआ था तांत्रिक दृष्टिकोण से भी एक प्रमुख शक्तिपीठ माना जाता है 12 प्रमुख शक्तिपीठों में छठे स्थान का मंदिर माना जाता है
इस मंदिर में 3 देवियों की प्रतिमाएं स्थापित है महाकाली महालक्ष्मी और महासरस्वती जी की प्रतिमाएं यहां पर विराजमान है यहां पर कुछ दूरी पर ही शिप्रा नदी हैं शिप्रा नदी के तट पर ही शक्तियों का स्थान है उन स्थानों के सामने ही एक ओखर श्मशान घाट स्थित है पौराणिक मान्यताओं से भी गढ़कालिका मंदिर का विशेष महत्व है नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से आध्यात्मिक प्रगति होती है नवरात्रि के समय पर यहां पर विशेष पूजन अर्चन और विशेष आयोजन होते हैं
उज्जैन में नवग्रह मंदिर (शनि मंदिर)( ujjain me navgrah shani mandir in hindi)

उज्जैन का यह मंदिर अनेक लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है क्योंकि यह त्रिवेणी संगम तीर्थ पर स्थित है यह उज्जैन शहर से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर इंदौर उज्जैन मार्ग पर बना हुआ है या अत्यंत प्राचीन मंदिर है इसका पुराण में इसे शनिदेव के विशेष और अति महत्वपूर्ण स्थान के रूप में बताया गया है प्रति शनिचरी अमावस्या को यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु शनि देव के दर्शन हेतु पहुंचते हैं इस मंदिर में नवग्रहों की भी मूर्तियां विराजमान है
श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर उज्जैन( shri dwarkadhish gopal mandir ujjain in hindi)
शहर के मध्य में स्थित यह भव्य मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है आज से लगभग 22 वर्ष पहले इस मंदिर की स्थापना की गई थी इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में द्वारकाधीश जी की अत्यंत सुंदर और भव्य मूर्ति स्थापित है मंदिर के गर्भ गृह में रत्न जड़ित द्वार बनाया गया है जिसको गजनी से प्राप्त किया गया था जो सोमनाथ मंदिर के लूट के समय यहां पर पहुंच गया था
इस भव्य मंदिर का शिखर सफ़ेद संगमरमर और शेष का भाग सुंदर काले पत्थरों से बनाया गया है इस मंदिर की शिल्पकारी अत्यंत विशाल और भव्य है हर तरफ सुंदर नक्काशी की गई है यह समय समय पर दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है
उज्जैन कैसे पहुंचे?( ujjain kaisen pahuchen in hindi?)
उज्जैन का कोई भी प्रमुख एयरपोर्ट उज्जैन में स्थित नहीं है इसके लिए आपको सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर जाना होगा जहां से उज्जैन की दूरी लगभग 60 किलोमीटर की है आप एयरपोर्ट के बाहर से प्राइवेट टैक्सी है क्या पकड़ कर उज्जैन पहुंच सकते हैं
उज्जैन सड़क मार्ग से जाने के लिए लगभग सभी मुख्य सड़कों से जुड़ा हुआ है आप दिल्ली भोपाल इंदौर जबलपुर आदि जगहों से आसानी से उज्जैन पहुंच सकते हैं
रेल मार्ग से उज्जैन जाने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन उज्जैन कहां है जो भोपाल से सीधा जुड़ा हुआ है इसके अलावा यह रेलवे मार्ग दिल्ली मुंबई और कोलकाता से सीधे तौर पर भी जुड़ा हुआ है
उज्जैन की यात्रा कब करें(ujjain ki yatra kab karen?)
यह तो प्राचीन नगरी उज्जैन आप वर्ष भर जा सकते हैं परंतु सबसे खास समय यहां पर सावन के महीने का होता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना विशेष तौर पर की जाती है और महाकाल मंदिर सावन के समय पूरे 1 महीने तक दर्शकों और भक्तों से भरा रहता है यहां पर अधिक से अधिक संख्या में भक्त पहुंचकर भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं अगर आपको या खास समय का विशेष आनंद उठाना है तो सावन के महीने में एक बार उज्जैन जरूर आना चाहिए
उज्जैन में कहां रुके?( ujjain mein kahan ruken?)
उज्जैन में अत्यंत प्राचीन मंदिर और प्राचीन इमारतें स्थित है इन इमारतों को देखने के लिए और मंदिरों में भक्तों की हमेशा भीड़ होती है यहां पर उज्जैन में आपको अच्छे होटल मिल जाएंगे इनका रेट ₹500 से लेकर ₹5000 तक का होता है आप अपनी सुविधा अनुसार किसी भी होटल में जाकर ठहर सकते हैं|
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