केदारनाथ मंदिर और केदारनाथ यात्रा के विषय में संपूर्ण जानकारी
केदारनाथ उत्तराखंड राज्य में बसा हुआ एक छोटा सा कस्बा है। इसी कस्बे में केदारनाथ मंदिर स्थित हैं यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। हिमालय पर्वत माला श्रृंखलाओं के बीच में स्थित केदारनाथ मंदिर हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए प्रसिद्ध और पवित्र स्थान है। केदारनाथ मंदिर को पंच केदार में और उत्तरांचल के चार धामों में गिना जाता है।
समुद्र तल से लगभग 3550 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह भव्य और विशाल मंदिर सतयुग के दौरान निर्मित किया गया। पुराने तथ्यों के आधार पर यह माना जाता है कि राजा केदार ने इस मंदिर की नींव रखी थी।केदारनाथ मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस वर्ष में केवल 6 महीने के लिए श्रद्धालुओं के लिए खुलता है बाकी के 6 महीनों में भारी बर्फबारी कारण इसे बंद कर दिया जाता है यहां।
यहां का जनजीवन भारी बर्फबारी कारण कारण पूरी तरह रुक जाता है।दोस्तों अगर आप केदारनाथ मंदिर की यात्रा करना चाहते हो तो हम आपको इस लेख के माध्यम से केदारनाथ मंदिर और वहां के आसपास के रमणीय स्थलों के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान करेंगे। तो देर न करते हुए चलिए दोस्तों शुरू करते हैं केदारनाथ मंदिर और केदारनाथ यात्रा के विषय में विस्तृत जानकारी
केदारनाथ मंदिर ( kedarnath mandir in hindi)
उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। केदारनाथ मंदिर की समुद्र तल सेऊंचाई 3550 मीटर है। इतनी ऊंचाई पर इतना विशाल मंदिर निर्माण होना आज के समय में भी आसान नहीं है।परंतु ऐसा माना जाता है कि सतयुग के राजा केदार ने इस मंदिर का निर्माण कराया था।देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर केदारनाथ धाम के दर्शनों के लिए केदारनाथ पहुंचते हैं।
हिमालय की पर्वत श्रृंखला पर बना यह विशाल मंदिर तीनों तरफ प्राकृतिक और बर्फीली चोटियों से घिरा हुआ है। केदारनाथ मंदिर के निर्माण करने वाले राजा केदार 12 महाद्वीपों पर राज करने वाले एकमात्र शासक थे। वह भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। एक अन्य कहानी के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पांडवों को भगवान शिव दिखाई दिए थे।
भगवान शिव के दर्शनों के लिए लालायित होकर भीम ने उनको रोकना चाहा परंतु भगवान शिव ने भैंस सेकी आकृति देकर उनसे दूर जाने की चेष्टा की परंतु यह देखकर भीम ने उस शिव रूपी भैंसे को उसकी पीठ से पकड़ लिया। और भगवान शिव को रुक कर वहां पर पांडवों को दर्शन देना पड़ा इसी स्थान को केदारनाथ के रूप में मान्यता प्राप्त हुई उनके दर्शन करने के उपरांत व्यक्ति मानव जन्म के सभी पाप कर्मों से मुक्त हो जाता है।
केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव की भैंसे की पीठ के रूप की आकृति वाला शिवलिंग विराजमान है। जिस शिवलिंग पर भक्त भक्त लोग दूध पुष्प फूल जल आदि अर्पित करके उनकी पूजा अर्चना करते हैं। केदारनाथ मंदिर में आरती प्रातः कालीन और साईं कालीन दो बार की जाती है।
मंदिर के चारों तरफ एक विशाल चबूतरा बना हुआ है जिससे कि यहां आने वाले भक्तों मंदिर की परिक्रमा करते हैं।केदारनाथ मंदिर के तीनों तरफ विशाल पर्वत श्रृंखलाएं, ऊंची ऊंची बर्फ से ढकी चोटियां यहां के प्राकृतिक परिवेश को अत्यंत आकर्षक और मनमोहक बना देती है।
केदारनाथ मंदिर का इतिहास एवं स्थापना( kedarnath mandir ka itihas evam sthapana in hindi)
केदारनाथ के मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन माना जाता है तथ्यों के आधार पर यह कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना सतयुग के राजा केदार ने की थी। राजा केदार ने सभी महाद्वीपों को जीतने के पश्चात इस स्थान की नींव रखी थी। फिर कई वर्षों के पश्चात पांडव वंश के राजा जनमेजय ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।बाद में पांडवों के द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। और अंत में आदि गुरु शंकराचार्य ने इस भव्य मंदिर का पुनर्निर्माण कराया
पांडव भाइयों में से भीम भगवान शिव को बैल रूपी अवतार में देख लिया था जिसे उन्होंने बैल की पीठ पर हाथ रख कर पकड़ लिया और निवेदन किया कि भगवान से उन्हें दर्शन दे उनके द्वारा रोक लिए जाने के पश्चात भगवान शिव ने इसी स्थान पर उन्हें दर्शन दिया तब से इस स्थान पर पूजा अर्चना की जाने लगी। केदारनाथ के 500 रूपों को उत्तराखंड में पूजा जाता है जिन्हें पंच केदार के नाम से भी जाना जाता है।
पंच केदार किसे कहते हैं ?(panch kedar kisen kahte hain?)
पौराणिक कथाओं के अनुसार यह कहा जाता है कि भगवान शिव ने जब पृथ्वी पर आगमन किया तब वह बैल रूप में आए और उनके शरीर का धड़ पशुपतिनाथ काठमांडू में, पीठ का ऊपरी हिस्सा केदारनाथ में, अपनी जटा कल्पेश्वर में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि महेश्वर में, और भुजाएं तुंगनाथ में प्रकट की थी।
इन्हीं पांच स्थानों को मिलाकर पंच केदार कहा जाता है। पशुपतिनाथ भारत में स्थित ना होने की वजह से पंच केदार के स्वरूपों में नहीं गिने जाते हैं।
पंच केदार के नाम क्या हैं?(panch kedar ke naam kya hain?)
पंच केदार के नाम
केदारनाथ
महेश्वर
तुंगनाथ
रुद्रनाथ
कल्पेश्वर
केदारनाथ के समीप के प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल(kedarnath ke sameep ke prasidh dharmik paryatn sthal in hindi)
गौरीकुंड
यह वह पवित्र स्थान है जहां पर भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए देवी सती ने घोर तपस्या की थी। इस गांव में एक शुद्ध पानी का स्त्रोत है इसके बारे में तथ्य कहा जाता है कि इस पानी को पी कर मनुष्य निरोगी हो जाता है।
अगस्त्य मुनि का आश्रम
यह वही स्थान है जहां पर भारत के सर्व सिद्धि अगस्त्यमुनि का निवास स्थान था।केदारनाथ की यात्रा पर जाने वाले भक्त इस स्थान पर आकर अपना शीश जरुर झुकाते हैं।
सोनप्रयाग
सोनप्रयाग को धार्मिक दृष्टि से एक अत्यंत पवित्र जगह माना जाता है यह वही स्थान है जहां पर बासु की नदी और मंदाकिनी नदी का मिलन होता है।
शंकराचार्य की समाधि
आठवीं शताब्दी में केदारनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराने वाले शंकराचार्य जी की समाधि स्थल यहीं पर विराजमान है। आदि गुरु शंकराचार्य को सभी श्रद्धालु यहां पहुंच कर जी के समाधि स्थल पर नमन करते हैं।
वासुकी ताल
वासुकी ताल एक खूबसूरत प्राकृतिक झील है जिसका पानी अत्यंत ठंडा होता है। कई लोगों का यह मानना है कि इसमें अदृश्य शक्ति का निवास है।
चंद्रशिला
समुद्र तल से लगभग 3780 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण चंद्रशिला ट्रैकिंग के लिए एक आदर्श स्थान माना जाता है। प्राचीन की शुरुआत करने वालों के लिए एक आदर्श जगह है।
गौरीकुंड से केदारनाथ की यात्रा कितने किलोमीटर की होती है?( Gaurikund se kedarnath ki yatra kitne kilometer ki hoti hain in hindi?)
गौरीकुंड से केदारनाथ की यात्रा 17 किलोमीटर की होती है जो कि पैदल चलकर पूरी की जाती है।
केदारनाथ में होटल( kedarnath me hotels in hindi)
केदारनाथ के आसपास अगर आप होटल लेना चाहते हैं तो यहां पर लो बजट से लेकर हाई बजट तक के होटल्स उपलब्ध है इन होटलों में प्रमुख रूप से
भोपाल होटल,
केदारनाथ रिसोर्ट वैली,
केदार रिवर रिट्रीट
शिवालिक रिसॉर्ट आदि है।
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केदारनाथ मंदिर में दर्शन करने का समय(kedarnath mandir mein darshan karne ka samay in hindi)
केदारनाथ मंदिर के कपाट प्रातः कालीन 5:00 बजे भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं।दोपहर में 3:00 बजे से लेकर 5:00 बजे के बाद कपाट बंद कर दिए जाते हैं इस दौरान भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है शाम को 5:00 बजे के बाद दोबारा कपाट भक्तों के दर्शनों के लिए खोल दिए जाते हैं। शाम 7:30 बजे भगवान शिव की विशेष आरती की जाती है। यह आरती भारत में कन्नड़ भाषा में की जाती है। रात्रि 8:30 पर मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
केदारनाथ मंदिर के कपाट कब खुलते हैं एवं कब बंद होते हैं?

ओमकारेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी के द्वारा महाशिवरात्रि के दिन केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि घोषित की जाती है।संभवत अप्रैल मई के महीने में केदारनाथ मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शनों के लिए खोल दिए जाते हैं।
केदारनाथ मंदिर के कपाट दिवाली के 1 दिन बाद संभवत बंद कर दिए जाते हैं। जो 6 महीने तक बंद रहते हैं। समूचा केदारनाथ बर्फ से ढक जाता है।
केदारनाथ कैसे पहुंचे?(kedarnath kaisen pahuchen in hindi?)

दोस्तों अगर आप केदारनाथ की यात्रा करना चाहते हैं तो आपको दिल्ली मुंबई भारत के किसी भी शहर से सबसे पहले हरिद्वार या फिर ऋषिकेश पहुंचना होगा। ऋषिकेश या हरिद्वार पहुंचने के बाद आपको यहां से नियमित तौर पर बसे गौरीकुंड पहुंचा देती है। गौरीकुंड से ही पैदल यात्रा प्रारंभ होती है। जो केदारनाथ धाम तक पहुंचती है।
हवाई परिवहन से केदारनाथ कैसे पहुंचे?
अगर आप हवाई जहाज से केदारनाथ पहुंचना चाहते हैं तो यहां का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून है देहरादून के जौलीग्रांट हवाई अड्डे से नियमित तौर पर प्राइवेट कैब और बसे केदारनाथ के लिए चलती हैं। वर्तमान समय में यात्रियों की सुविधा को देखते हुए जौलीग्रांट हवाई अड्डे से नियमित हेलीकॉप्टर सर्विस चालू की गई है जो सीधा केदारनाथ तक पहुंचा देती है। जिस का किराया भी न्यूनतम रखा गया है।
सड़क यातायात से केदारनाथ कैसे पहुंचे?
अगर आप सड़क यातायात के माध्यम से केदारनाथ पहुंचना चाहते हैं तो सबसे पहले आप हरिद्वार ऋषिकेश पहुंचना होगा। हरिद्वार और ऋषिकेश से आपको हर घंटे बस सुविधा मिलेगी जो आपको गौरीकुंड तक पहुंचा देगी गौरीकुंड से आपकी केदारनाथ की यात्रा पैदल ही होती है।
ट्रेन से केदारनाथ कैसे पहुंचे?
ट्रेन से अगर आप केदारनाथ जाना चाहते हैं तो निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और हरिद्वार है। ऋषिकेश और हरिद्वार से नियमित बसें आपको केदारनाथ पहुंचा देगी।
केदारनाथ यात्रा पर जाने से पहले ध्यान देने योग्य जरूरी सावधानियां और टिप्स( kedarnath yatra par jane se pahle dhyan dene yogya jaruri savdhaniya aur tips in hindi)
केदारनाथ की यात्रा अगर आपजाना चाहते हैं तो 12 वर्ष के कम बच्चों के साथ केदारनाथ की यात्रा ना करें।
उन लोगों को केदारनाथ की यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है जिनको चलने में ज्यादा तकलीफ या असुविधा होती है।
जो लोग चलने में असमर्थ है उनके लिए पिट्ठू या पालकी के द्वारा केदारनाथ की यात्रा कराई जाती है हालांकि यह खर्चीली होती है।
केदारनाथ की यात्रा पर जाने से पहले गौरी कौन से प्रातः जल्दी यात्रा शुरू करें।
गौरीकुंड से यात्रा प्रारंभ करने के पश्चात आपको केदारनाथ तक पहुंचने में 5 से 6 घंटे का समय लग सकता है।
केदारनाथ मंदिर अधिक ऊंचाई पर स्थित होने के कारण वहां पर ऑक्सीजन की मात्रा में कुछ कमी होती है इसलिए सलाह दी जाती है कि अस्थमा या सांस के मरीज अपने साथ जरूरी दवाइयां लेकर ही यात्रा करें।
केदारनाथ से प्रमुख शहरों की दूरी (kedarnath se pramukh shaharo ki doori in hindi )
नई दिल्ली से केदारनाथ की दूरी 254 किलोमीटर
मुंबई से केदारनाथ की दूरी 1929 किलोमीटर
लखनऊ से केदारनाथ की दूरी 955 किलोमीटर
कानपुर से केदारनाथ की दूरी 902 किलोमीटर
अहमदाबाद से केदारनाथ की दूरी 1070 किलोमीटर
हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी 248 किलोमीटर
केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी 215 किलोमीटर
ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी 212 किलोमीटर
देहरादून से केदारनाथ की दूरी 258 किलोमीटर
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