बलिया में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहें-best tourist destinations to visit in ballia in hindi

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बलिया का इतिहास काफी पुराना है|बलिया में कई महान संत जैसे कि जमदग्बनि ,वाल्मीकि ,भृगु ,दुर्वासा आदि ऋषियों के आश्रम थे|माना जाता हैं कि बलिया कौशल साम्राज्य का ही हिस्सा था|बलिया का नाम राजा बलि के नाम पर पड़ा |

स्वतंत्रता संग्राम में भी बलिया का योगदान अभूतपूर्व रहा| प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी मंगल पाण्डेय,चित्तू पाण्डेय,और तारकनाथ पाण्डेय भी बलिया से ही थे | अंग्रेजों से आजादी जब भारत को मिली उससे पहले बलिया 19 अगस्त सन 1942 में सबसे पहले आजादी मिल गयी थी| बलिया उत्तर प्रदेश का आखरी जिला है इसके बाद बिहार का सीमा छेत्र प्रारम्भ हो जाता है|आइये दोस्तों बलिया के प्रमुख घूमने वाली जगहों के बारे में जाने —-

भृगु मंदिर (Bhrigu mandir)

यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर बलिया जिला मुख्यालय से मात्र १ किमी की दुरी पर स्थित है|यह विशाल मंदिर अनेक धार्मिक अनुष्ठानो के साथ साथ शादी समारोहों के लिए भी विख्यात है|

ये स्थल महर्षि भृगु की तपोभूमि मानी जाती है|यह मंदिर बलिया छपरा मार्ग पर स्थित है|महर्षि भृगु जो की श्रेष्ठ ऋषियों में गिने जाते थे उनकी महिमा का बखान ये स्थल आज भी करता है|

ये विशाल मंदिर परिसर में अनेक धार्मिक अनुष्ठान होते रहते है| जहां पर साधू संत अक्सर अपनी अराधना में व्यस्त रहते है| मंदिर परिसर में ही भगवान् चित्रगुप्त जी का भव्य मंदिर भी है| यह मंदिर बलिया के सबसे प्रमुख पर्यटन केन्द्रों में गिना जाता है|

ददरी मेला (Dadari mela )

ये मेला महर्षि भृगु जी के शिष्य दरदर मुनि के नाम पर लगता है| नवम्बर में हर साल लगने वाले मेले में लाखो की संख्या में लोग आते है| ये मेला प्रयागराज में लगने वाले कुम्भ मेले के बाद सबसे बड़ा मेला माना जाता है|

ये माना जाता है कि इस मेले में हर एक चीज मिल जाती है|विशेषकर ये मेला पशुवो के लिए लगाया जाता है| इसी मेले के दौरान कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा नदी के किनारे एतिहासिक स्नान का आयोजन किया जाता है|15 दिन तक चलने वाले मेले में लाखो की संख्या में लोग यहाँ आते है|

बालेश्वर शिव मंदिर ( Baleshwar shiv mandir )

भगवान् शंकर जी को समर्पित ये प्राचीन मंदिर बलिया के मुख्य बाज़ार के समीप स्थित है|कहा जाता है की राजा बलि ने यहाँ विशाल यग किया था |और ये भी कहा जाता है कि गंगा नदी लगभग आज से 80 साल पहले इसी शिव मंदिर के करीब से होकर गुजरती थी|

शिवरात्री के समय इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है और यहाँ इस प्राचीन मंदिर का भव्य श्रृंगार किया जाता है|आसपास के लोगो में ये मंदिर अत्यंत लोकप्रिय है |

सोनाडीह भवानी मंदिर (Sonadih bhavani mandir )

बेल्थरा रोड में सरयू नदी के किनारे स्थित ये प्राचीन पर्यटन स्थल लोगो की आस्था का बड़ा केंद्र है|यहाँ नवरात्रि में काफी संख्या में भीड़ होती है| माँ दुर्गा को समर्पित ये ख़ास मंदिर सभी भक्तो की मुरादे पूरी करता है|

पौराणिक कथाओ के अनुसार इसी स्थल पर दुर्गा माँ ने रक्तबीज नाम के दैत्य का वध किया  था और यही पर शुम्भ और निशुम्भ नाम के दो दानवो का भी वध किया था| यहाँ पर चैत्र के महीने  में  विशाल मेले का आयोजन होता है,जहा आसपास के काफी संख्या में लोग आते है|

शंकरी देवी मंदिर (shankari devi mandir)

बलिया में मनियर मार्ग में स्थित ये प्राचीन मंदिर आसपास के लोगो में अत्यंत लोकप्रिय है|शंकरी देवी मंदिर का निर्माण लगभग आज से 500 वर्ष पूर्व हुआ परन्तु इस मंदिर का पुननिर्माण आज लगभग 70 वर्ष पूर्व किया गया |

हर साल यहाँ नवरात्रि में ९ दिन का मेला लगता है जहा भक्त आकर माता के दर्शन करते है|

सुरहा ताल (surhaa taal )

ये ताल गंगा नदी के द्वारा निर्मित है| बलिया के प्रसिद्ध पर्यटन केन्द्रों में इस ताल का नाम आता है|यह ताल बलिया रेलवे स्टेशन से 17 किमी की दुरी पर स्थित है| ये ताल प्रवासी पंछियों के लिए मुफीद है|

बलिया के नेता और पूर्व प्रधान मन्त्री चंद्रशेखर जी के प्रयासों से इसे सुरहा ताल पंछी विहार घोषित किया जा चुका है| पुरानी कथाओं के अनुसार राजा सुरथ अपने सैनिको के साथ विश्राम कर रहे थे उन्होंने सैनको से पानी माँगा तो सैनिको ने इसी सरोवर का पानी लाकर राजा को दिया|

जल से राजा ने जैसे ही हाथ पैर धुले उनके युद्ध में लगे हुए घाव भरने लगे|इसके बाद राजा ने इसी सरोवर के पास तीन वर्षो तक देवी भावनी ब्राह्मणी माँ की अराधना की|तभी से इसका नाम सुरहा ताल पड़ गया|

वर्तमान समय में ये युवाओं में एक महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र बन चुका है| सुरहा ताल काफी बड़े छेत्र में फैला हुआ है|और आसपास के लोग यहाँ आकर अपना पिकनिक सेलिब्रेट करते है|

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चैन राम बाबा मंदिर (chain raam baba mandir )

बलिया के सहतवार में स्थित ये सिद्ध पीठ अत्यंत मनोरम स्थल है| ये मंदिर चैन राम बाबा का समाधि स्थल है| इस मंदिर में एक सुंदर सरोवर भी है|इस सरोवर में बड़ी बड़ी मछलिया निवास करती है|

पर्यटन के लिहाज से भी ये मंदिर बलिया के प्रमुख पर्यटन केन्द्रों में शुमार है| यहाँ लगन के दिनों में सामुहिक विवाह आयोजित किये जाते रहते है| इस मंदिर में हमेशा भक्तो की भीड़ लगी रहती है|

चैन राम बाबा जी के बारे ये कहा जाता था कि वो भविष्य देखने का ज्ञान प्राप्त कर चुके थे|  उनको स्वय ईश्वर ने ज्ञान दिया था| उनकी महिमा आसपास के छेत्र में निरंतर गई जाती है|यहाँ धार्मिक अनुष्ठान भी समय समय पर आयोजित किये जाते है|

नवका बाबा मंदिर (nawka baba mandir )

ये माना जाता है की जब विज्ञान फेल हो जाता है तब से रूहानी दुनिया शुरू होती है| कुछ ऐसा ही चमत्कार नवका बाबा मंदिर में होता है| इस मंदिर या स्थान की कहानी भो रोचक है|

ये कहा जाता है की यहां दो अनाथ बच्चो की ब्रम्ह आत्माये लोगो के मनोकामनाओ को पूरा करती है|यहां माओ की सुनी गोद भी भर जाती है| इस मंदिर में आने वाले सभी लोग ठीक होकर हसी ख़ुशी अपना जीवन व्यतीत करते है|

कहा जाता है कि आज से लगभग ३०० साल पहले यहाँ तांत्रिक महिला ने दो बच्चो को मारकर उनकी आत्माए कैद कर ली |और आज तक यही दो आत्माए आये हुए भुत प्रेतों से पीड़ित लोगो का इलाज कर उन्हें नव जीवन प्रदान करती है|

ब्रम्ह बाबा के स्थान के नाम से ये जगह पुरे भारत में विख्यात है| यहाँ नवरात्रों में यहाँ लाखो की संख्या में लोग आते है| ये सिद्ध स्थान बलिया के मनियर कस्बे में पड़ता है|

बलिया कैसे पहुंचे (how to reach ballia )

हवाई मार्ग से बलिया पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा बनारस हवाई अड्डा है जो लगभग 170 किमी की दूरी पर है|

सड़क परिवहन के साधन के लिए बलिया बस अड्डा लगभग सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है|

रेल परिवहन से बलिया आने के लिए बलिया रेलवे स्टेशन है|जहाँ प्रतिदिन लगभग 35  ट्रेनें आती है|

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