मध्य प्रदेश में प्रमुख घूमने वाली जगहे-top places to visit in Madhya Pradesh in hindi

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दोस्तों मध्य प्रदेश भारत के मानचित्र में मध्य में स्थित है| मध्य प्रदेश का उदय यु तो सदियों पहले हुआ है, लेकिन  आधिकारिक रूप से इसे एक राज्य का दर्जा सन १९५६ में दिया गया | पर्यटन के लिहाज से ये प्रदेश भारत में ही नही पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है| मध्य प्रदेश चारो तरफ से सुंदर पहाडियों से घिरा हुआ है|

भारत की कई बड़ी नदियों का उदगम स्थल भी यही है| पुरे विश्व के पर्यटन प्रेमी यहाँ जरुर आते है| इस प्रदेश का कोना कोना पर्यटन छेत्र माना जाता है| घुमने फिरने के  लिए यहाँ काफी ज्यादा संख्या में पर्यटक आकर इस खुबसूरत राज्य को करीब से देखने का सौभाग्य प्राप्त करते है|

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल है| मध्य प्रदेश में पर्यटकों को घुमने के लिए खुबसूरत पहाडिया, झीले , प्राचीन इमारते, विश्व प्रसिद्द मंदिर, खुबसूरत वाइल्डलाइफ एडवेंचर आदि अनेक जगह है| अगर पर्यटकों को यहाँ पुरे मध्य प्रदेश की मुख्या पर्यटन केन्द्रों का भ्रमण भी करना हो तो कम से कम ८ से १० दिन का समय लेकर आना चाहिए |

मध्य प्रदेश का लगभग एक तिहाई हिस्सा वन संपदाओ से घिरा हुआ है|यहाँ प्रक्रति प्रेमी बड़ी उत्सुकता से यहाँ आते है| तो दोस्तों आइये शुरू करते है मध्य प्रदेश की कुछ पर्यटन केन्द्रों के बारे में –

  • खजुराहो (khajuraho )
  • बांधवगढ़ राष्ट्रीय उधान (bandhavgarh नेशनल पार्क)
  • उज्जैन (Ujjain )
  • ग्वालियर (gwalior)
  • भोपाल (bhopal )
  • कान्हा राष्ट्रीय उद्यान (kanha national park)
  • साँची (sanchi )
  • ओरछा (orchha )
  • पंचमणी (panchmani )
  • मांडू (maandu )
  • ओंकारेश्वर ( omkareswar )
  • अमरकंटक (amarkantak)
  • भीमबेटका (bheembetka )

मध्य प्रदेश में घूमने लायक प्रमुख जगह खजुराहो (khajuraho the top tourist destination in madhya pradesh in hindi )

khajuraho

खजुराहो मंदिर मध्य प्रदेश के पर्यटन की जान है| यहाँ स्थित प्राचीन मंदिर विश्व विख्यात है| छतरपुर जिले में स्थित ये मंदिर प्राचीन समय में खजूर वाहिका के नाम से जाना जाता था|| खुजराहो का सामन्य अर्थ खजूर होता है| क्युकी यहाँ का लगभग सम्पुर्ण छेत्र खजूर के विशाल पेड़ो से घिरा हुआ है|

खजुराहो में बहुत बड़ी संख्या में हिन्दू और जैन मंदिर स्थित है| यहाँ देश के सर्वोत्तम मध्यकालीन समारके बनी हुई है| भारत के अलावा सम्पुर्ण विश्व के आगंतुक एवं पर्यटक प्रेम के अद्भुत स्मारकों को देखने के लिए यहाँ आते है| खजुराहो के मंदिर में कामुक कामक्रीड़ा की मुर्तिया अवस्थित है| इसे युनेष्को के द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया है|

भारतीय कला के सबसे सुंदर और महत्वपूर्ण नमूनों में से एक खजुराहो का मंदिर की स्थापना लगभग 950 इस्वी से 1050 इस्वी के मध्य माना जाता है| इसके संस्थापक चंदेल वंश को माना जाता है| इन प्राचीन मंदिरों में अब सिर्फ लगभग 22 मंदिर ही शेष बचे है| बाकी सभी मंदिर अत्यंत जीर्ण अवस्था में पहुच चुके है|

मध्य प्रदेश में प्रसिद्ध घूमने की जगह बांधवगढ़ राष्ट्रीय उधान (bandhavgarh national park in hindi )

इन्फोरमतिवे

मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित ये राष्ट्रीय पार्क बाघों के लिए विश्व विख्यात है| लगभग 438 वर्ग किमी के विशाल छेत्र में फैला हुआ ये पार्क सन 1968 में राष्ट्रीय पार्क घोषित किया गया | माना जाता है की ये राष्ट्रीय उधान लगभग 32  पहाडियों से घिरा हुआ है|

प्रक्रति प्रेमी यहाँ ज्यादा संख्या में आते है, और वन्य जीवो को उनके स्वतंत्र परिवेश में देखते है| यहाँ चारो और प्राकृतिक सुन्दरता फैली हुई है| इसी उधान में एक विशाल पहाड़ है जिसे ही बांधवगढ़ कहा जाता है|

इस उधान में बाघ के अलावा भिन्न भिन्न प्रकार के जीव जंतु देखे जा सकते है| पर्यटन के लिहाज से बांधवगढ़ राष्ट्रीय उधान मध्य प्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल माना जाता है| यहाँ पर पशुवो की 25 प्रजातिया और पछियो की 260 से ज्यादा प्रजातिया मौजूद है|

वाइल्डलाइफ एडवेंचर का मज़ा लेने के लिए यहाँ जीप सफारी और एलीफैंट सफारी भी पर्यटकों के लिए उपलब्ध कराये जाते है|

कैसे पहुचे(how to reach)

वायुमार्ग से आने के लिए सबसे करीब हवाई अड्डा जबलपुर है जो यहाँ से लगभग 168 किमी दूर है|

बांधवगढ़ में फीस(bandhavgarh national park fees in hindi )

• शेयरिंग परमिट शुल्क – 1200 रूपये / – प्रति व्यक्ति – भारतीय या विदेशी।

• सेंटर सफ़ारी शुल्क – 1000 रूपये / – प्रति व्यक्ति भारतीय या विदेशी।

बांधवगढ़ में सफारी की टाइमिंग-safari timing in bandhavgarh national park in hindi

• अक्टूबर से दिसंबर – सुबह 6:00 बजे से 11:00 पूर्वाह्न – दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:00 बजे तक

• दिसंबर से फरवरी – सुबह 6:30 बजे से 11:00 बजे – दोपहर 2:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक

• फरवरी से मार्च -5: 45 AM से 11:00 AM – 3:00 PM से 5:30 PM

• मार्च से अप्रैल -5: 30 AM से 11:00 AM – 3:00 PM से 6:00 PM

• अप्रैल से जून -5: 00 AM से 11:00 AM – 4:00 PM से 7:00 PM

उज्जैन (ujjain in hindi)

उज्जैन अति प्राचीन नगरी है,यह मध्य प्रदेश का मुख्य धार्मिक पर्यटन स्थल है| ये भारत के सात सबसे पवित्र नगरो में से एक माना जाता है| उज्जैन हिंदुओ के लिए अति पवित्र नगरी मानी जाती है| इसका एक सबसे बड़ा कारण 12 ज्योतिर्लिंगों में एक महाकालेश्वर मंदिर का उज्जैन में स्थित होना है|

शिप्रा नदी के किनारे बसा ये पावन शहर धर्म,संस्कृति, विधा, एवं आस्था का केंद्र है| ये प्राचीन मंदिर जहा एक और पुरातत्व विभाग की अमूल्य धरोहर है वही दूसरी और हिन्दू धर्म के प्रवर्तकों के लिए आस्था और विश्वास का बड़ा केंद्र है|

इस विशाल और दिव्य मंदिर का निर्माण राजा भोज के बेटे उदयादित्य ने करवाया था| और दोबारा इस मंदिर का जीर्णोद्वार दीवान रामचंद्र राव ने १७३४ में करवाया था| माहाकालेश्वर मंदिर के अलावा उज्जैन में घूमने के लिए बड़े गणेश जी का मंदिर, माता हरशिदधि देवी मंदिर,श्री गोपाल मंदिर,कालभैरव मंदिर, जनार्धन मंदिर, नगर कोट की रानी, आदि अनेक जगहे है|

उज्जैन कैसे पहुचे(how to reach)

हवाई मार्ग से आने के लिए निकटतम हवाई अड्डा इंदौर है , जो लगभग 55 किमी है |

रेल मार्ग के द्वारा उज्जैन रेलवे स्टेशन मुख्य रेलवे से जुडा हुआ है|

सड़क मार्ग के द्वारा आप यहाँ आसानीं से पहुच सकते है| भोपाल , नई दिल्ली, मुंबई, इंदौर, आदी अनेक जगहों से उज्जैन के लिए नियमित बसे मिल जायेंगी|

कब जाए( when goes ) 

यु तो पुरे वर्ष भर उज्जैन में पर्यटक आते है| पर सबसे ज्यादा ख़ास सावन का महीना होता है| अगस्त में आप यहा आकर महाकाल मंदिर की विशेष और भव्य श्रींगार देख सकते है| सावन में यहाँ बहुत अधिक संख्या में भीड़ होती है| आप यहाँ जब भी आये पूरी जानकारी ले कर ही आये|

ग्वालियर (gwalior)

INFORMATION

मध्य प्रदेश केउत्तर मध्य में स्थित ग्वालियर भारत का प्राचीन और एतिहासिक नगर है| ग्वालियर में स्थित दुर्ग और प्राचीन धरोहर इस शहर को पर्यटन के लिहाज से अग्रणी शहर बनाते है|

यह शहर गुर्जर राजवंश, तोमर,और बघेल कछवाहो की राजधानी रहा था| इन्ही वंशो के द्वारा बनाए हुए किलो, महल, और स्मारक इस शहर में पर्यटन को बढ़ावा देते है| इसे गालव ऋषि का तपोभूमि भी माना जाता है|

वर्तमान समय में भी भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा प्रमुख स्मार्ट सीटीस मिशन के तहत स्मार्ट सिटी शहर चुना गया है| पर्यटन के लिए यहाँ तानसेन स्मारक, जयविलास महल, तेली मदिर, मनमंदिर महल, मानसिंह का किला, गोपांचल पर्वत, आदि अनेक पर्यटन स्थल है|

भोपाल (bhopal )

INFORMATION

भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी होने के साथ साथ यहा प्रशासनिक मुख्यालय भी है| भोपाल को झीलों का शहर भी कहा जाता है| यहाँ आपको कई बड़ी बड़ी झीले भी मिल जायेगी| इसके अलावा भोपाल अचानक चर्चा में आ गया जब यहाँ गैस त्रासदी हुई थी, जिसमे लगभग २०००० लोगो को अपनी जान गवानी पड़ी थी|

भोपाल शहर में घुमने के लिह्हाज से काफी जगहे है जैसे की भीम बेटका,शहीद भवन, बिडला मंदिर, वन विहार, डीबी मॉल, वन विहार आदि|

कान्हा राष्ट्रीय उधान (Kanha natioanl park)

information

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को मध्य प्रदेश के सतपुड़ा की पहाडियों के बीच मैकल किस्म से बनाया गया है| यह भारत का दिल है जो शाही भारतीय पर्यटन केंद्र बनाता है। इस खुबसूरत और देश व्यापी पार्क को लोकप्रिय बनाया जा रहा है क्योंकि टाइगर रिजर्व से इसे सर्वश्रेष्ठ वन्यजीव क्षेत्रों में से एक घोषित किया जा रहा है।

मंडला और कालाघाट दो राजस्व जिलों में फैले, कान्हा नेशनल पार्क को सन 1879 में एक आरक्षित वन्य संरछित पार्क घोषित किया गया और 1933 में एक प्राकृतिक विश्व अभयारण्य के रूप में फिर से बनाया गया। इसकी भूमिका 1955 में नेशनल पार्क में बदल गई।

कान्हा नेशनल पार्क पहाड़ियों की मैकाल श्रृंखला के भीतर 940 वर्ग किमी में फैला हुआ है। बफर और कोर सेक्टर को एक साथ मिलाकर, कान्हा टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल लगभग 1945 वर्ग किमी है।

जंगल के किनारे और आसपास के सुन्दर घास के मैदान और जंगल के घने मैरून प्रकृति प्रेमियों के लिए शानदार दर्शनीय स्थलों माने जाते हैं। भूमि को अधिक सुंदर और मनमोहक बनाने के साथ, घने जंगल के बीच क्रिस्टल स्पष्ट नदियों की धाराए पर्यावरण को साफ करती हैं और वनस्पतियों और जीवों को बेजोड़ बनाती हैं|

साँची (sanchi )

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भारत के सबसे पुराने जीवित पत्थर स्मारकों में से एक और बौद्ध वास्तुकला का एक उत्कृष्ठ उदाहरण साँची के स्तूप को माना जाता है| साँची के स्तूप आपको भारत के सम्राट अशोक और बौध धर्म के उत्थान के विषय में बोध कराते है|।

यह गुंबद हालांकि सांची का पर्यायवाची है, जब शुरुआत में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक की सहायता से, एक महत्वपूर्ण कक्ष में स्थित भगवान बुद्ध के अवशेषों के साथ एक साधारण ईंट संरचना बनाई गई।

मध्य प्रदेश में भोपाल के उत्तर-पूर्व में लगभग 46 किलोमीटर की दूरी पर सांची स्तूप, यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है | साँची के स्तूप मौर्य काल से शुरू होने वाले भारतीय ढांचे के विकास का पता लगाने में एक ऐतिहासिक स्मारक है।

सबसेअच्छे संरक्षित स्तूपों में से एक, सांची में महान स्तूप अपने चार सजावटी प्रवेश द्वारों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस समय यातायात को नियंत्रित करता है| कुछ लोग तो इस बौद्ध स्थापत्य कृति को देखने के लिए वेब साइट पर घंटों बिताते हैं|

देश विदेश के पर्यटक इस स्तूप की खूबसूरती और बनावट के बारे में जानकर यहाँ खिचे चले आते है,और इसकी मूर्तियों की समृद्धि देखते हैं। ।

एक महान और अद्भुत मौर्य शासक, अशोक, जिन्होंने 268 और 232 ईसा पूर्व के बीच पूर्ण उपमहाद्वीप पर शासन किया, को सांची में एक औसत विहार (बौद्ध मठ) की संरचना के संग्रह का श्रेय देने के लिए श्रेय दिया जाता है, सम्राट अशोक के शासन की एक ऐसी प्रवृत्ति है जो सदियों से बारहवीं सदी तक फलती-फूलती रही।

फीस

भारतीय और एशिया के पर्यटकों के लिए 30 रूपये मात्र

यूरोप और विदेशी पर्यटकों के लिए 500 रूपये मात्र

खुलने का समय

प्रात 8;30 से शाम 5;30 तक

कैसे जाए

रेल यातायात से जाने के लिए आप भोपाल जं तक आ सकते है जो नजदीकी रेलवे स्टेशन है|

वायु मार्ग से आने के लिए निकटम हवाई अड्डा भोपाल है ,जोकि ४६ किमी की दुरी पर है|

सड़क परिवहन से आने के लिए भोपाल तक सभी राज्यों से जुडी हुई बस सेवा उपलब्ध है, यहा से आप आसानी से टेक्सी या कैब लेकर sanchi पहुच सकते है|

ओरछा (Orchha)

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अति प्राचीन नगर orchha का अपना महत्व है| जिला निवाड़ी में पड़ने वाला ये खुबसूरत नगर पर्यटन के लिहाज से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है| यहाँ की सबसे अच्छी कहानी जो लोगो के जुबां पर है वो है यहाँ के विश्व प्रसिद्ध राम राजा मंदिर की कहानी |

कहा जाता है की भगवान श्री राम की बाल्यावस्था की मूर्ति यहाँ विराज मान है जिनको orchha की महारानी ने अयोध्या से लाइ थी| इसके अलावा भी कई प्रकार की कथाये कही जाती है| इसके अलावा यहाँ घुमने के लिए जहांगीर महल,राज महल, राम राजा मंदिर, सुंदर महल, फुलबाग आदि अनेक खुबसूरत जगहे है|

कैसे आये(how to reach )

orchha आने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन jhanshi है जो लगभग २० किमी की दुरी पर स्थित है|

वायु मार्ग से आने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा खजुराहो है जो यहाँ से लगभग १७० किमी है |

सड़क परिवहन से आने के लिए jhaanshi बस अड्डे से आसानी से यहाँ पहुचा जा सकता है|

पंचमढ़ी (panchmarhi )

information

भारत के सबसे खुबसूरत हिल स्टेशन panchmarhi को माना जाता है| इसकी खूबसूरती भी अपने आप में अति विशिष्ठ है| खुबसूरत पहाडियों और झरनों के लिए मशहूर ये अत्यंत खुबसूरत स्थान पर्यटकों की पहली पसंद बन चुका है|

मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित ये खुबसूरत जगह अत्यंत मनमोहक है| अगर आप पर्यटन प्रेमी है तो आपको एक बार जरुर आना चाहिए | अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के कारण ये शहर “सतपुरा की रानी “कहलाता है|

यहाँ विशाल और घने जंगल, कल कल करते जल प्रपात, झीले, और तालाब है, जहां पर काफी ज्यादा संख्या में जंगली जानवर जैसे कि शेर,चीतल, चिंकारा, हिरन, भालू, आदि जानवर रहते है|

पंचमढ़ी घुमने के लिए कुछ महत्वपूर्ण जगहे
  • बी फॉल
  • प्रियदर्शिनी पॉइंट
  • रजत प्रपात
  • राजेन्द्र गिरि
  • हांडी खोह
  • जटाशंकर गुफा
  • पांडव गुफा
  • अप्सरा विहार
  • सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान

कैसे पहुचे(how to reach)

पंचमढ़ी लोकप्रिय पर्यटन स्थल होने के कारण सभी मार्गो से जुडा हुआ है| सड़क परिवहन से आने के लिए भोपाल से नियमित बस सेवा चलती है|

वायु मार्ग से आने के लिए भोपाल हवाई अड्डे से आसानी से आ सकते है|

रेल मार्ग से आने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पिपरिया है जो मुबई -हावड़ा रेलमार्ग पर स्थित है|

कब जाए(best time to goes )

जब सम्पूर्ण भारत में मौसम 45 डिग्री हो जाता है जब भी यहाँ का मौसम 34 डिग्री से अधिक नही होता है| मई से लेकर जून तक यहाँ भारत ही नही विदेशो से भी पर्यटक ज्यादा संख्या में आते है| खुशनुमा मौसम और सुंदर पहाड़िया पर्यटकों को आकर्षित करती रही है|

मांडू (mandu)

information

मांडू ने पारमारों के तहत दसवीं और ग्यारहवीं शताब्दी में अकल्पनीय गुणवत्ता को अपनाया । मांडू शहर, 633 मीटर (2,079 फीट) की उंचाई पर व्यवस्थित है, परमारों के काल में इसे सबसे ज्यादा प्रसिद्धी मिली उन्होंने मांडू को अपनी राजधानी बनाया |

13 वी शताब्दी में ये इलाका मुस्लिम शासको के अधीन हो गया, विध्यांचल पर्वत श्रृंखला में स्थित होने के कारण सुरछा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था| आज के समय में ये एक विश्व प्रशिद्ध पर्यटन स्थल बन गया है| यहाँ पर्यटन काफी ज्यादा संख्या में आते है|

ये खुबसूरत जगह खिलजी शासको के द्वारा बनाये हुए हिंडोला और जहाज महल की वजह से पर्यटकों में खासी लोकप्रिय हो चूका है| यह शहर इंदौर से मात्र १०० किमी की दुरी पर स्थित है|  

कैसे पहुचे (how to reach)

इंदौर से सडक परिवहन के द्वारा यहाँ आसानी से पहुचा जा सकता है|

वायु मार्ग से आने के लिए आप इंदौर हवाई अड्डे तक आ सकते है ,जहां से मांडू 98 किमी की दुरी पर है|

रेल परिवहन से आने के लिए निकटम रेलवे स्टेशन रतलाम है| यहाँ लगभग सभी प्रमुख शहरों के लिए ट्रेन मिल जाती है|

मांडू घुमने लायक जगहे 

जहाज महल 

रूपमती पवेलियन 

रूपमती महल 

बाघ गुफा 

कारवा सराय 

हिंडोला महल

अशरफी महल 

कब जाए(when goes ) 

वेसे तो पुरे वर्ष भर यहाँ पर्यटक आते रहते है| परन्तु यहाँ आने का सबसे अच्छा समय मार्च से लेकर अक्टूबर तक का माना जाता है|

ओंकारेश्वर (omkareshwar )

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नर्मदा नदी की पावन धारा के किनारे स्थित मांधाता द्वीप पर स्थित ओंकारेश्वर एक उल्लेखनीय यात्रा केंद्र  है जो शिव के सभी बारह आराध्य ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है। ओंकारेश्वर नाम का अर्थ   ‘ओमकारा के भगवान’, जो कि सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है या बारह तीर्थ हैं जो एक ज्योतिर्लिंगम के भीतर भगवान शिव को समर्पित हैं।

यह एक पवित्र द्वीप है जो हिंदू प्रतीकों ‘ओम’ की तरह ही बनता है, जो दुनिया भर के कई यात्रियों को आकर्षित करता है। यह ओंकारेश्वर और अमरकेश्वर के साथ मिलकर 2 प्राचीन मंदिर हैं।

यह स्थान नर्मदा और कावेरी धारा के संगम  बिंदु पर पाया जाता है, जो भगवान शिव के भक्तों और अधिकाँश यात्रियों के लिए समान रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

दृष्टांत के अनुसार, जब नारद,  विंध्य पर्वत के देवता से मिलने गए, तो वे यह जानकर काफी भड़क उठे कि भगवान शिव के लिए कोई जीवित स्थान नहीं था, तब उन पर्वतों के देवता ने खुद को सख्त अहिंसा के लिए संदर्भित किया। एक बार पर्वत के अलौकिक होने के कारण भगवान शिव को बहुत खुशी हुई कि वह अपने सभी घरों में ओंकारेश्वर बनाएंगे और इसीलिए यह स्थान भगवान शिव को समर्पित है।

इस पवित्र स्थान का पूरा स्थान पहाड़ों से घिरा हुआ है, जो यात्रियों के लिए एक आकर्षक स्थल है। यदि आप यहां हैं, तो आपको परिक्रमा करने के लिए द्वीप पर चक्कर लगाने की आवश्यकता है क्योंकि इसे बहुत ही गैर धर्मनिरपेक्ष होने के लिए ध्यान में रखा जाता है और आप यहां आकर आराम और शांति महसूस करेंगे।

यहाँ हिन्दू धर्म के अनुयायी बड़ी संख्या में आते है, और दर्शन करते है| मध्य प्रदेश में १२ ज्योतिर्लिंगों में से दो ज्योतिर्लिंग स्थित है| एक महाकाल और दूसरा ओंकारेश्वर | ओम्कारेश्वर में अधिक मात्रा में मंदिर बने हुए है, इन्ही मंदिरों से परिक्रमा होती हुई चलती है| कुल मिलाकर ये परिक्रमा ३ दिनों तक की मानी जाती है|  

कब जाए ( when goes )

यहाँ तो वर्ष भर भक्तो की भीड़ होती है| परन्तु आप यहाँ आने चाहे तो सबसे अच्छा समय जुलाई से मार्च तक होता है|क्युकी यहाँ वर्षा भी औसत ही होती है| तो आप वर्षा के समय भी यहाँ आने का प्लान बना सकते है|

कैसे पहुचे (how to reach )

आप यहाँ इंदौर या उज्जैन से आसानी से सड़क परिवहन के माध्यम से यहाँ आ सकते है 

हवाई मार्ग से आने के लिए इंदौर हवाई अड्डा सबसे नजदीकी अड्डा है, जहा से आप यहाँ पहुच सकते है|

रेल परिवहन से आने के लिए निकटम रेलवे स्टेशन ओंकारेश्वर रेलवे स्टेशन है जो खंडवा रेलवे खंड से जुडा हुआ है|

अमरकंटक (amarkantak )

विंध्य और सतपुड़ा की सुंदरता को समेटे हुए , अद्भुत अमरकंटक मध्य प्रदेश राज्य के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है।

यह स्वर्गीय गंतव्य अच्छी तरह से लोगो के बीच जाना जाता है क्योंकि 2 अच्छी और शानदार नदियों की उत्पत्ति, नर्मदा और इसलिए ध्वनि इकाई जो अमरकंटक के इतिहास के बारे में कई कहानियों को उजागर करती है।

मध्य भारतीय क्षेत्र के भीतर 1065 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस पौराणिक शहर का अपना महत्व है और इसे तीर्थराज के रूप में माना जाता है जिसका अर्थ है तीर्थ स्थलों का राजा।

यह अतिरिक्त रूप से मध्य प्रदेश के पर्यटन की सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

नाम से ही अमरकंटक से पता चलता है कि ‘अनन्त आपूर्ति’, जो कि पवित्र जलकुंड नर्मदा के साथ काफी जुड़ा हुआ है, भारत की सबसे पवित्र और विशिष्ट नदियों में से एक है।

इस जगह पर साल में एक बार व्यक्तियों की बाहरी सीमा के साथ-साथ प्रकृति-प्रेमी पर्यटकों के साथ-साथ गैर-धर्मनिरपेक्ष लोगों द्वारा दौरा किया जाता है, विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे तलाशना पसंद करता है

कुछ लोगों का मानना ​​है कि प्रसिद्ध भारतीय लेखक कालिदास ने इस जगह का नाम ‘आम्रकूट’ रखा था, क्योंकि शहर के भीतर आम (अमरा) के पेड़ों की काफी संख्या थी।

अमरकंटक कई कहानियों का देश हो सकता है और यह कई साम्राज्यों का गवाह है, जिनमें पांडवों से लेकर विदेशी शासक तक के फैशनेबल समय शामिल हैं।

अमरकंटक में बहुत सारे मंदिरों की क्षेत्र इकाई है जो विभिन्न शासकों के समय का वर्णन करती है।

यहां एक कहानी को ध्यान में रखते हुए, एक बार भगवान शिव ने त्रिपुरा को नष्ट कर दिया था, यह राख अमरकंटक पर गिर गई, जो हजारों शिवलिंग (शिव के प्रतीक) थे।ऐसी ही एक छवि अक्सर जलेश्वर में देखी जाती है।

तब से, यह माना जाता है कि जो भी इस स्थान पर मरता है उसे स्वर्ग में एक क्षेत्र दिया जाता है।अमरकंटक, मध्य प्रदेश यह सुंदर जगह प्रचुर मात्रा में पहाड़ियों के साथ पूर्ण शांति में बहती है, पूरा शहर, तंग जलवायु, आकर्षक प्राकृतिक सुंदरता और आकर्षक झरने हैं।

यह स्थान पवित्र तालाबों, जगमगाती धाराओं और घने जंगलों के साथ अपने मेहमानों का मनोरंजन करने के लिए तैयार किया गया है, जो उस क्षेत्र को इस अद्भुत गंतव्य का एक हिस्सा बनाते हैं।

अमरकंटक क्षेत्र की इकाई नर्मदाकुंड और कलचुरी राशि के प्राचीन मंदिरों में कई प्रमुख आकर्षण हैं।

वहाँ क्षेत्र इकाई के रूप में कई सोलह छोटे मंदिरों के अंतराल पर मंदिर नर्मदाकुंड से उन्नत है, जो शहर के मध्य में स्थित है।

यदि आप इन स्थानों की यात्रा करते हैं और शहर के गैर धर्मनिरपेक्ष परिवेश के भीतर एक आकर्षक  समय का भुगतान करते हैं, तो अमरकंटक में आपकी छुट्टियां अक्सर बहुत अविस्मरणीय होती हैं।

कैसे पहुचे (how to reach)  

सड़क परिवहन से अमरकंटक पहुचने के लिए पेंड्रा रोड ,बिलासपुर और सहदोल से आसानी से बसे मिल जायेंगी|

रेल परिवहन से जाने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन अनूपपुर रेलवे स्टेशन है जो अमरकंटक से 73 किमी की दुरी पर स्थित है|

वायु परिवहन से अमरकंटक आने के लिए सबसे नजदीकी एअरपोर्ट जबलपुर है जो अमरकंटक से लगभग 245 किमी की दुरी पर है|

अमरकंटक जाने का सबसे अच्छा समय (best time to visit amarkantak)

पर्यटन के लिहाज से अमरकंटक मध्य प्रदेश के सबसे भव्य पर्यटन केन्द्रों में गिना जाता है| यहाँ आने का सबसे अच्छा  समय मार्च से मई और अगस्त से नवम्बर तक माना जाता है| वैसे तो गर्मियों की छुट्टियों में भी काफी संख्या में पर्यटक यहाँ आते है|

भीम बेटका (bheembetka )

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मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित ये गुफा पुरातात्विक धरोहर है| यह मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से मात्र ४८ किमी की दुरी पर स्थित है| भीम बेटका युनेष्को की विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल है| ये गुफाये लगभग १३ किमी के विशाल एरिया में फैला हुआ है|

और इस एरिया में ७०० से अधिक चट्टानों की गुफाये स्थित है| इसकी पेंटिंग विश्व प्रसिद्ध है, और चित्रों को गहरे निशाँ से बनाया गया है| बताया जाता है की कुछ निशान तो ३०००० साल से भी अधिक पुराने है|

इस गुफाओं में जानवरों के चित्र उकेरे गये है, जो देखने से ही अति प्राचीन प्रतीत होते है| ये गुफाये अत्यंत प्राचीन होने के साथ साथ अत्यंत सुंदर लगती है| कभी कभी तो इन्हें देखकर यकी नही होता है की इन गुफ्फाओ को इंसानों ने बनाया है|ये प्रक्रति के द्वारा निर्मित हुए लगते है|

भीमबेटका कैसे पहुचे (how to reach bheem betka)

वायु मार्ग से भीमबेटका आने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा भोपाल है जो यहाँ से 40 किमी की दुरी पर है|

सड़क परिवहन से यहाँ आने के लिए निकटतम बस अड्डा भोजपुर है जो यहाँ से २८ किमी की दुरी पर है| और यह अड्डा सभी प्रमुख बस अड्डो से जुडा हुआ है|

रेल परिवहन से आने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन भोपाल है जो लगभग 42 किमी की दुरी पर है|

भीमबेटका जाने के लिए सबसे अच्छा समय (best time to travel bheembetka)

भीमबेटका जाने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक माना जाता है| गर्मी के दिनो में यहाँ गर्मी कुछ ज्यादा ही पडती है| इसीलिए गर्मियों में यहाँ यात्रा करने में थोड़ी असुविधा हो सकती है|

 

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