बद्रीनाथ मंदिर के बारें में संपूर्ण जानकारी-Full information about Badrinath temple in hindi

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बद्रीनाथ मंदिर के विषय में संपूर्ण जानकारी

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बद्रीनाथ मंदिर(Badrinath temple) उत्तराखंड राज्य में चमोली जिले में बद्रीनाथ गांव में स्थित है। बद्रीनाथ हिंदू धर्म के लिए एक अति महत्वपूर्ण धार्मिक पर्यटन स्थल है। भगवान विष्णु के एक स्वरूप बद्री को समर्पित यह मंदिर अत्यंत प्राचीन होने के साथ-साथ बहुत गहरी आस्था का केंद्र भी है।

समुद्र तल से लगभग 10846 फीट की ऊंचाई पर बद्रीनाथ मंदिर स्थित है। भारत में स्थित चार धामों में से इसकी गिनती की जाती है। बद्रीनाथ मंदिर की स्थापना लगभग 7 सातवीं आठवीं शताब्दी में की गई थी परंतु प्रमुख रूप से इसका साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। दोस्तों इस लेख के माध्यम से हम आपको बद्रीनाथ मंदिर के बारे में, उनके पर्यटन स्थल, बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास, बद्रीनाथ का मौसम बद्रीनाथ में होटल बद्रीनाथ कैसे पहुंचे आदि प्रमुख चीजों के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान करेंगे।

बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास एवं स्थापना(history of badrinath temple in hindi)

बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन और ऐतिहासिक है। बद्रीनाथ मंदिर की स्थापना के विषय में यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना सातवीं आठवीं शताब्दी में की गई थी। बाद में आदि गुरु शंकराचार्य जी ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था।विष्णु पुराण महाभारत और स्कंद पुराण आदि प्राचीन ग्रंथों में भी इस मंदिर के बारे में साक्ष्य मिलते हैं।

प्राचीन तथ्यों के आधार पर यह भी कहा जाता है कि बाैधो के आगमन के पश्चात बौद्धों ने इस मूर्ति को तालाब में फिकवा दिया था परंतु जब शंकराचार्य का आगमन हुआ तो उन्होंने इस मूर्ति को कुंड से बाहर निकलवा कर गुफा में स्थापित कराया। समय के पश्चात इस गुफा में से शालिग्राम की मूर्ति को नवीन मंदिर में स्थापित किया गया ।नियमित होते भूस्खलन की वजह से मंदिर का पुनः निर्माण होता रहता है।

विष्णु पुराण के तथ्यों के आधार पर नर और नारायण नाम के दो बालकों ने इस स्थान पर कई वर्षों तक की घोर तपस्या की थी।

महाभारत के अनुसार इस स्थान पर पांडवों ने पिंड दान आदि कार्य इसी स्थान पर किए थे।

प्राचीन ग्रंथों में अभी कहा जाता है कि महर्षि व्यास ने महाभारत की रचना किस स्थान पर की थी।

बद्रीनाथ की कथा(story of Badrinath in hindi)

बद्रीनाथ मंदिर फोटो
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बद्रीनाथ की कथा यह मानी जाती है कि भगवान विष्णु को साधना करने के लिए उचित स्थान नहीं मिल रहा था। अपनी साधना करने के लिए भगवान संपूर्ण पृथ्वी पर घूम रहे थे घूमते घूमते हुए इस स्थान पर पहुंचे परंतु उनको यह ज्ञात था कि यह स्थान भगवान शिव को अति प्यारा है और उस समय भगवान शिव का घर यही स्थान था। इस स्थान पर मोहित होकर भगवान विष्णु ने एक लीला रची वह एक छोटे बालक का रूप धारण करने के पश्चात पार्वती के सम्मुख जाकर जोर जोर से रोने लगे उनको रोता देखकर देवी पार्वती का ह्रदय द्रवित हो गया

उन्होंने उस बालक को मनाने की हर संभव कोशिश की परंतु नाकाम रहे उसके पश्चात उन्होंने उस बालक को गोद में उठाकर उसको मना कर उसको सुला दिया और कमरे से बाहर आ गई। भगवान विष्णु ने यह देखकर तुरंत कमरा अंदर से बंद कर लिया।जब भगवान शिव आए तो उन्होंने अंदर से ही भगवान शिव से प्रार्थना की कि वह स्थान उन्हें अत्यंत प्रिय लग गया है इसलिए वह केदारनाथ निवास करने चले जाएं।उनकी बात मान कर भगवान शिव देवी पार्वती के साथ केदारनाथ में निवास करने चले गए। और भगवान विष्णु ने इस स्थान पर साधना की।

एक अन्य कथा के अनुसार भगवान विष्णु से देवी लक्ष्मी जी अत्यंत रुष्ट हो गई थी उनको मनाने के लिए भगवान विष्णु ने इस स्थान पर आकर कठोर तपस्या की।तब देवी लक्ष्मी उन से प्रसन्न होकर उनके पास आए परंतु उन्होंने देखा कि भगवान विष्णु एक बेर के विशाल वृक्ष पर तपस्या कर रहे हैं तब से मां लक्ष्मी ने उनका नाम बद्रीनाथ रख दिया। तब से इस स्थान का नाम बद्रीनाथ पड़ गया।

बद्रीनाथ के समीप के प्रमुख पर्यटन स्थल(top tourist places in badrinath in hindi)

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बद्रीनाथ में तप्त कुंड( tapt kund)

यह कुंड गर्म पानी का कुंड है इसका बहुत ही प्राचीन ऐतिहासिक महत्व भी है तथ्यों के आधार पर यह माना जाता कि इस कुंड के जल से जो भी स्नान करता है वह  सभी पापों से मुक्त हो जाता है।

बद्रीनाथ के समीप नीलकंठ पर्वत( neelkanth parvan in hindi)

नीलकंठ पर्वत जोकि महादेव पर्वत के नाम से भी विख्यात है यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद ही रोमांचक होता है। बर्फ से घिरी हुई ऊंची ऊंची चोटियों पर जब सूरज की रोशनी पड़ती है तो पूरी तरह से सोने के समान चमकने लगता है। जिसे भक्त महादेव के नीलकंड के रूप में पूजते और जानते हैं। यहां पर दर्शन करने के लिए दूरदराज से लोग कठिन मार्गो से होकर पहुंचते हैं।

बद्रीनाथ में चरण पादुका( charan paduka in hindi)

चरण पादुका वह स्थान है जहां पर भगवान विष्णु के बाल रूप के पैरों के निशान आज भी मौजूद है

चरण पादुका  आकर भक्त लोग भगवान विष्णु के चरण पादुका के स्थान को साष्टांग प्रणाम करते हैं।

अलकनंदा नदी ( alakhnanda river in hindi)

अलकनंदा वह स्थान है जहां पर पूरे भारत में सरस्वती नदी का सदृश्य रूप आप देख सकते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार अलकनंदा मां गंगा के 8 धाराओं में से एक है।

गोमुख(gomukh in hindi)

गोमुख व पवित्र स्थान है जहां पर मां गंगा का स्वर्ग से आगमन हुआ था।बद्रीनाथ की यात्रा का प्रारंभ स्थल भी यही है इसे गोमुख भी कहा जाता है।

यमुनोत्री मंदिर( yamunotri temple in hindi)

देवी यमुना को समर्पित यह मंदिर अति प्रसिद्ध है। इस मंदिर में निरंतर एक दीपक जलता रहता है इस दीपक के विषय में यह कहा जाता है कि बद्रीनाथ के कपाट बंद होने के पश्चात इस दीपक को देवता लोग 6 महीने तक जलाए रखते हैं शेष 6 महीने तक यह मंदिर में निरंतर जलता रहता है।

नरसिंह मंदिर( narsingh temple in hindi)

जोशी मठ में स्थित यह मंदिर भगवान नरसिंह को समर्पित है। इस मंदिर में स्थित भगवान नरसिंह की मूर्ति का एक हाथ अत्यंत पतला है।इस हाथ के विषय में एक रोचक कहानी यह है कि यह हाथ निरंतर पतला होता जा रहा है जिस दिन यह हाथ मूर्ति से विभाजित हो जाएगा उस दिन से भगवान बद्रीनाथ के दर्शन यहां पर नहीं हो पाएंगे।

भीम पुल( bheem bridge in hindi)

भीम पुल वह स्थान है जहां पर पांडवों में भीम ने सरस्वती नदी को पार करने के लिए एक विशाल शीला को सरस्वती नदी के ऊपर रख दिया था। जिस पर चलकर पांडवों ने सरस्वती नदी को पार किया था। इस स्थान पर आकर श्रद्धालु यहां के प्राचीन महत्व को जानकर रोमांचित हो उठते हैं।

अलकापुरी(Alkapuri in hindi)

अलकापुरी भगवान कुबेर जी का निवास स्थान माना जाता है यह वही स्थान है जहां पर अलकनंदा नदी का उद्गम हुआ है।

कुंड(kunds in hindi)

बद्रीनाथ मंदिर के आसपास कई प्राचीन कुंड है इन प्राचीन गुंडों का भी प्राचीन इतिहास एवं प्राचीन महत्व है। जिसमें तप्त कुंड नारद कुंड सूर्य कुंड आदि प्रमुख है।

पंच बद्री( panch badri in hindi)

1)बद्रीनाथ में स्थित बद्री विशाल

2)पांडुकेश्वर में स्थित योग ध्यान बद्री

3)एनिमल मन में स्थित वृद्ध बद्री

4)रानीखेत रोड पर स्थित आदिबद्री

5)दूर सबेन में स्थित भविष्य बद्री ।

यह पांच मंदिर मिलाकर पंच बद्री कहलाते हैं।

भारत का आखिरी गांव माणा गांव( last village in india mana gaav in hindi)

दोस्तों अगर आप भारत का आखिरी गांव या छोड़ देखना चाहते हैं तो आपको माणा गांव जरूर जाना चाहिए। यह गांव भारत का आखिरी गांव माना जाता है।पौराणिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस स्थान पर कई प्राचीन धरोहरे आज भी स्थित हैं।

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बद्रीनाथ का मौसम( badrinath weather in hindi)

बद्रीनाथ का मौसम की बात की जाए तो यहां का मौसम बहुत ही दर्द होता है। भारी बर्फबारी की वजह से तो बद्रीनाथ मंदिर नवंबर से लेकर मार्च तक श्रद्धालुओं के लिए बंद रहता है। बारी बारी बारी से जीवन यहां पर लगभग समाप्त हो जाता है सभी आसपास के निवासी किस स्थान को छोड़कर पास पड़ोस के गांव में चले जाते हैं। नवंबर से मार्च के दिनों में यहां का औसत तापमान 5 डिग्री सेंटीग्रेड से लेकर -10 डिग्री सेंटीग्रेड तक हो जाता है। जबकि अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक का मौसम का तापमान 15 डिग्री से लेकर 20 डिग्री सेंटीग्रेड तक ही रहता है।

बद्रीनाथ में होटल(hotels in badrinath in hindi)

बद्रीनाथ में अगर आप होटल में रुकना चाहते हैं तो यहां पर आपको सस्ते बजट के होटलों से लेकर लग्जरी होटल्स भी उपलब्ध है। इन होटलों में प्रमुख रूप से 

होटल व्यू क्रेस्ट

होटल त्रिशूल

इस्वरी नारायणी होटल

होटल स्नो व्यू

होटल चरण पादुका

पंचवटी होटल एंड रेस्टोरेंट

होटल माउंटेन व्यू

आदि होटल्स है।

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बद्रीनाथ यात्रा पर जाने संबंधित जरूरी सुझाव(badrinath travel tips in hindi)

दोस्तों अगर आप बद्रीनाथ की यात्रा पर जा रहे हैं तो आपके लिए कुछ जरूरी सुझाव इस प्रकार है

  • छोटे बच्चों के साथ बद्रीनाथ की यात्रा पर ना जाएं।
  • शारीरिक और पुरानी बीमारी से ग्रसित व्यक्ति बद्रीनाथ की यात्रा ना करें तो बेहतर है।
  • बद्रीनाथ की यात्रा करने से पहले अपने साथ जरूरी चीजें जैसे मोबाइल चार्जर जरूरी दवाएं पावर बैंक जूते सर्द कपड़े इत्यादि ले जाना ना भूलें।
  • बेहतर हो तो दोस्तों के साथ या समूह में यात्रा करें।
  • ऋषिकेश से बद्रीनाथ का रास्ता बेहद संकरा है विशेष ध्यान दें कि ऋषिकेश में प्रातः कालीन बस सेवाओं के द्वारा ही बद्रीनाथ पहुंचे।
  • वृद्ध व्यक्तियों को अगर बद्रीनाथ की यात्रा करनी है तो वह पहले से बद्रीनाथ की यात्रा के विषय में पूरी जानकारी ले लें।और अपने साथ वैकल्पिक स्त्रोत जैसे कि पिट्टू और सवारी गाड़ियों का भी प्रबंध कर ले।
  • ऋषिकेश की यात्रा करने से पूर्व में स्थित समिति में अपना रजिस्ट्रेशन कराना ना भूलें।

बद्रीनाथ मंदिर कितने साल पुराना है?

बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास काफी पुराना है इस मंदिर के विषय में लेख कई पुराणों और कई प्राचीन कथाओं में भी मिलते हैं इन तथ्यों के आधार पर यह माना जाता है कि मंदिर सातवीं आठवीं शताब्दी से अस्तित्व में है।

बद्रीनाथ मंदिर 2021 में कब खुलेगा?

2021 में बद्रीनाथ मंदिर के पट विशेष समिति के आदेश के अनुसार 17 मई को खोले जायेंगे।

पंच बद्री, पंच केदार, और पंच प्रयाग क्या है?

पंच बद्री

1)बद्रीनाथ में स्थित बद्री विशाल

2)पांडुकेश्वर में स्थित योग ध्यान बद्री

3) आडिमन्न में स्थित वृद्ध बद्री

4)रानीखेत रोड पर स्थित आदिबद्री

5)दूर सबेन में स्थित भविष्य बद्री ।

पंच केदार

केदारनाथ धाम

कल्पेश्वर मंदिर

तुंगनाथ मंदिर

मद्महेश्वर मंदिर

रुद्रनाथ मंदिर।

पंच प्रयाग

उत्तराखंड के पंच प्रयाग हैं

 विष्णुप्रयाग, 

नंदप्रयाग,

कर्णप्रयाग, 

रुद्रप्रयाग

देवप्रयाग।

हरिद्वार से बद्रीनाथ का बस का किराया

500 से 600 रूपये प्रति व्यक्ति

ऋषिकेश से बद्रीनाथ का बस किराया

530 से 800 प्रति व्यक्ति

बद्रीनाथ कैसे पहुंचे?(how to reach Badrinath in Hindi)

Badrinath temple with Modi ji
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बद्रीनाथ अगर आप पहुंचना चाहते हैं तो आपको हवाई रेल और सड़क परिवहन के माध्यम से पहुंच सकते हैं। इन सब माध्यमों में सबसे अच्छा माध्यम सड़क परिवहन को ही माना जा सकता है।राष्ट्रीय राजमार्ग 7 के द्वारा आप आसानी से बद्रीनाथ पहुंच सकते हैं।

हवाई जहाज के माध्यम से बद्रीनाथ कैसे पहुंचे?

हवाई परिवहन के माध्यम से अगर आप बद्रीनाथ आना चाहते हैं तो यहां का निकटतम हवाई अड्डा जौलीग्रांट हवाई अड्डा है जो ऋषिकेश से मात्र 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहां से आपको बद्रीनाथ पहुंचने के लिए प्राइवेट कैब या बसें नियमित अंतराल पर मिल जाती हैं।

ट्रेन के द्वारा बद्रीनाथ कैसे पहुंचे?

ट्रेन के द्वारा अगर आप बद्रीनाथ पहुंचना चाहते हैं तो सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार है जो कि देश के विभिन्न हिस्सों से अच्छी प्रकार से जुड़ा हुआ है।हरिद्वार से आकर आप सड़क परिवहन के माध्यम से बद्रीनाथ पहुंच सकते हैं।

सड़क परिवहन के माध्यम से बद्रीनाथ कैसे पहुंचे?

दोस्तों बद्रीनाथ पहुंचने के लिए सड़क परिवहन सबसे अच्छा विकल्प माना जाता हैराष्ट्रीय राजमार्ग 7 के द्वारा आप दिल्ली ऋषिकेश हरिद्वार हरियाणा और पंजाब प्रांत से आसानी से बद्रीनाथ पहुंच सकते हैं।

विशेष ऋषिकेश बस स्टेशन से प्रातः कालीन बस सेवाएं चलती है जो आपको सूर्यास्त होने से पहले बद्रीनाथ पहुंचा देते हैं। सूर्यास्त होने के बाद के बाद यहां पर सड़क परिवहन को अनुमति नहीं होती है।

केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी 217 किलोमीटर

हरिद्वार से बद्रीनाथ की दूरी 317 किलोमीटर

नई दिल्ली से बद्रीनाथ की दूरी 530 किलोमीटर

ऋषिकेश से बद्रीनाथ की दूरी 305 किलोमीटर

तो दोस्तों यह रही बद्रीनाथ के विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां हमें उम्मीद है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। अगर आपके मन में कुछ सवाल है तो हमें कमेंट जरूर करें और अपने दोस्तों को शेयर करना ना भूलें

धन्यवाद

बद्रीनाथ मंदिर के पट कब खुलते हैं?

बद्रीनाथ मंदिर के पट प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण नवंबर से लेकर अप्रैल तक श्रद्धालुओं के लिए बंद रहते हैं। वाह की विशेष समिति के द्वारा बद्रीनाथ मंदिर के पट खुलने की तिथि घोषित की जाती है।उस निर्धारित तिथि के अनुसार ही बद्रीनाथ मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं।

बद्रीनाथ कहां स्थित है?

बद्रीनाथ उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में बद्रीनाथ नामक शहर में स्थित है।

बद्रीनाथ मंदिर में मूर्ति किस चीज की है?

बद्रीनाथ मंदिर में स्थित भगवान विष्णु की मूर्ति 4 फुट की है जो शालिग्राम के पत्थर से निर्मित है।

बद्रीनाथ मंदिर में मूर्ति किस भगवान की है?

बद्रीनाथ मंदिर में स्थित मूर्ति भगवान विष्णु की बद्री नाम के अवतार की है।

बद्रीनाथ मंदिर केदारनाथ मंदिर से कितनी दूरी पर है?

केदारनाथ मंदिर से बद्रीनाथ मंदिर की दूरी 230किलोमीटर की है।

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