केदारनाथ मंदिर के बारें में संपूर्ण जानकारी-full information about kedarnath in hindi

केदारनाथ मंदिर के विषय में जानकरी फोटो

केदारनाथ मंदिर और केदारनाथ यात्रा के विषय में संपूर्ण जानकारी-Complete information about Kedarnath Temple and Kedarnath Yatra in hindi

image credit by gettyimages

केदारनाथ (kedarnath)उत्तराखंड राज्य में बसा हुआ एक छोटा सा कस्बा है। इसी कस्बे में केदारनाथ मंदिर(kedarnath mandir) स्थित हैं यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। हिमालय पर्वत माला श्रृंखलाओं के बीच में स्थित केदारनाथ मंदिर हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए प्रसिद्ध और पवित्र स्थान है। केदारनाथ मंदिर को पंच केदार में और उत्तरांचल के चार धामों में गिना जाता है। पर्वतों के राजा हिमालय की केदारनाथ की चोटी पर बना केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारधाम मंदिर तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। जहां एक तरफ 22000 फीट ऊंचा केदारनाथ पर्वत श्रृंखला, दूसरी तरफ 21000 फुट ऊंचा खर्च कुंड पर्वत श्रंखला, और तीसरी तरफ 22749 भारत कुंड पर्वत श्रंखला विराजमान है।

केदारनाथ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय स्थान माना जाता है। इसके अलावा यहां पर सिर्फ तीन पहाड़ ही नहीं बल्कि पांच नदियों का भी संगम स्थल है। इन नदियों में कुछ का अस्तित्व अब नहीं रहा परंतु अलकनंदा की सहायक नदी मंदाकिनी आज भी यहां पर तीव्र गति से प्रवाहित होती है। इसी नदी के किनारे पर स्थित है केदारेश्वर धाम।

यहां पर सर्दियों में भयंकर बर्फबारी और बारिश में जबरदस्त वर्षा होती है जिससे कि जीवन संभव नहीं होता इसी वजह से केदारनाथ धाम सर्दियों में 6 महीने के लिए बंद कर दिया जाता है।

समुद्र तल से लगभग 3550 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह भव्य और विशाल मंदिर सतयुग के दौरान निर्मित किया गया। पुराने तथ्यों के आधार पर यह माना जाता है कि राजा केदार ने इस मंदिर की नींव रखी थी।केदारनाथ मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस वर्ष में केवल 6 महीने के लिए श्रद्धालुओं के लिए खुलता है बाकी के 6 महीनों में भारी बर्फबारी कारण इसे बंद कर दिया जाता है यहां।

यहां का जनजीवन भारी बर्फबारी कारण कारण पूरी तरह रुक जाता है।दोस्तों अगर आप केदारनाथ मंदिर की यात्रा करना चाहते हो तो हम आपको इस लेख के माध्यम से केदारनाथ मंदिर और वहां के आसपास के रमणीय स्थलों के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान करेंगे। तो देर न करते हुए चलिए दोस्तों शुरू करते हैं केदारनाथ मंदिर और केदारनाथ यात्रा के विषय में विस्तृत जानकारी

केदारनाथ मंदिर ( kedarnath mandir in hindi)

kedarnath temple image for information
image credit by wikimedia

केदारनाथ मंदिर का इतिहास – history of kedarnath temple in hindi

kedarnath yatra view image
image crdit by wikimedia

केदारनाथ के मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन माना जाता है तथ्यों के आधार पर यह कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना सतयुग के राजा केदार ने की थी। राजा केदार ने सभी महाद्वीपों को जीतने के पश्चात इस स्थान की नींव रखी थी। फिर कई वर्षों के पश्चात पांडव वंश के राजा जनमेजय ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।बाद में पांडवों के द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। और अंत में आदि गुरु शंकराचार्य ने इस भव्य मंदिर का पुनर्निर्माण कराया

पांडव भाइयों में से भीम भगवान शिव को बैल रूपी अवतार में देख लिया था जिसे उन्होंने बैल की पीठ पर हाथ रख कर पकड़ लिया और निवेदन किया कि भगवान से उन्हें दर्शन दे उनके द्वारा रोक लिए जाने के पश्चात भगवान शिव ने इसी स्थान पर उन्हें दर्शन दिया तब से इस स्थान पर पूजा अर्चना की जाने लगी। केदारनाथ के 5 रूपों को उत्तराखंड में पूजा जाता है जिन्हें पंच केदार के नाम से भी जाना जाता है।

उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। केदारनाथ मंदिर की समुद्र तल सेऊंचाई 3550 मीटर है। इतनी ऊंचाई पर इतना विशाल मंदिर निर्माण होना आज के समय में भी आसान नहीं है। परंतु ऐसा माना जाता है कि सतयुग के राजा केदार ने इस मंदिर का निर्माण कराया था।देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर केदारनाथ धाम के दर्शनों के लिए केदारनाथ पहुंचते हैं।

हिमालय की पर्वत श्रृंखला पर बना यह विशाल मंदिर तीनों तरफ प्राकृतिक और बर्फीली चोटियों से घिरा हुआ है। केदारनाथ मंदिर के निर्माण करने वाले राजा केदार 12 महाद्वीपों पर राज करने वाले एकमात्र शासक थे। वह भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। एक अन्य कहानी के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पांडवों को भगवान शिव दिखाई दिए थे।

भगवान शिव के दर्शनों के लिए लालायित होकर भीम ने उनको रोकना चाहा परंतु भगवान शिव ने भैंस सेकी आकृति देकर उनसे दूर जाने की चेष्टा की परंतु यह देखकर भीम ने उस शिव रूपी  भैंसे को उसकी पीठ से पकड़ लिया। और भगवान शिव को रुक कर वहां पर पांडवों को दर्शन देना पड़ा इसी स्थान को केदारनाथ के रूप में मान्यता प्राप्त हुई उनके दर्शन करने के उपरांत व्यक्ति मानव जन्म के सभी पाप कर्मों से मुक्त हो जाता है।

केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव की भैंसे की पीठ के रूप की आकृति वाला शिवलिंग विराजमान है। जिस शिवलिंग पर भक्त भक्त लोग दूध पुष्प फूल जल आदि अर्पित करके उनकी पूजा अर्चना करते हैं। केदारनाथ मंदिर में आरती प्रातः कालीन और साईं कालीन दो बार की जाती है।

मंदिर के चारों तरफ एक विशाल चबूतरा बना हुआ है जिससे कि यहां आने वाले भक्तों मंदिर की परिक्रमा करते हैं।केदारनाथ मंदिर के तीनों तरफ विशाल पर्वत श्रृंखलाएं, ऊंची ऊंची बर्फ से ढकी चोटियां यहां के प्राकृतिक परिवेश को अत्यंत आकर्षक और मनमोहक बना देती है।

पंच केदार किसे कहते हैं ?-who is called panchkedar in hindi

पौराणिक कथाओं के अनुसार यह कहा जाता है कि भगवान शिव ने जब पृथ्वी पर आगमन किया तब वह बैल रूप में आए और उनके शरीर का धड़ पशुपतिनाथ काठमांडू में, पीठ का ऊपरी हिस्सा केदारनाथ में, अपनी जटा कल्पेश्वर में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि महेश्वर में, और भुजाएं तुंगनाथ में प्रकट की थी।

इन्हीं पांच स्थानों को मिलाकर पंच केदार कहा जाता है। पशुपतिनाथ भारत में स्थित ना होने की वजह से पंच केदार के स्वरूपों में नहीं गिने जाते हैं।

जरूरी सूचना

दोस्तों अगर आप kedarnath की यात्रा पर है तो आप हमारी वेबसाइट के माध्यम से होटल बुकिंग और फ्लाइट बुकिंग कर सकते हैं यहां पर आपको travelpayout(aviasales) के माध्यम से बिग डिस्काउंट और सभी टिकट बुकिंग कंपनियों के रेट एक ही प्लेटफार्म के माध्यम से दिखाई देते हैं जिससे आप आसानी से सस्ते टिकट और रूम बुक कर सकते हैं हमारी वेबसाइट के साइड में और पोस्ट के नीचे आपको हमारीtravelpayout का डिस्प्ले शो हो रहा उस पर जाकर आप अपनी क्वेरी सर्च कर सकते हैं।

image credit by gettyimages

 पंच केदार के नाम क्या हैं?-What is the name of Panch Kedar?

पंच केदार के नाम

केदारनाथ

महेश्वर

तुंगनाथ 

रुद्रनाथ

कल्पेश्वर

केदारनाथ के समीप के प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल-Famous Religious Tourist Places Near Kedarnath in hindi

गौरीकुंड

यह वह पवित्र स्थान है जहां पर भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए देवी सती ने घोर तपस्या की थी। इस गांव में एक शुद्ध पानी का स्त्रोत है इसके बारे में तथ्य कहा जाता है कि इस पानी को पी कर मनुष्य निरोगी हो जाता है।

अगस्त्य मुनि का आश्रम

यह वही स्थान है जहां पर भारत के सर्व सिद्धि अगस्त्यमुनि का निवास स्थान था।केदारनाथ की यात्रा पर जाने वाले भक्त इस स्थान पर आकर अपना शीश जरुर झुकाते हैं।

सोनप्रयाग

सोनप्रयाग को धार्मिक दृष्टि से एक अत्यंत पवित्र जगह माना जाता है यह वही स्थान है जहां पर बासु की नदी और मंदाकिनी नदी का मिलन होता है।

शंकराचार्य की समाधि

आठवीं शताब्दी में केदारनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराने वाले शंकराचार्य जी की समाधि स्थल यहीं पर विराजमान है। आदि गुरु शंकराचार्य को सभी श्रद्धालु यहां पहुंच कर जी के समाधि स्थल पर नमन करते हैं।

वासुकी ताल

वासुकी ताल एक खूबसूरत प्राकृतिक झील है जिसका पानी अत्यंत ठंडा होता है। कई लोगों का यह मानना है कि इसमें अदृश्य शक्ति का निवास है।

चंद्रशिला

समुद्र तल से लगभग 3780 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण चंद्रशिला ट्रैकिंग के लिए एक आदर्श स्थान माना जाता है। trekking की शुरुआत करने वालों के लिए एक आदर्श जगह है।

kedarnath himalayan view image
image credit by wikimedia

गौरीकुंड से केदारनाथ की यात्रा कितने किलोमीटर की होती है?-How long is the journey from Gaurikund to Kedarnath?

गौरीकुंड से केदारनाथ की यात्रा 17 किलोमीटर की होती है जो कि पैदल चलकर पूरी की जाती है।

केदारनाथ में होटल( kedarnath hotels in hindi)

केदारनाथ के आसपास अगर आप होटल लेना चाहते हैं तो यहां पर लो बजट से लेकर हाई बजट तक के होटल्स उपलब्ध है इन होटलों में प्रमुख रूप से

भोपाल होटल, 

केदारनाथ रिसोर्ट वैली, 

केदार रिवर रिट्रीट 

शिवालिक रिसॉर्ट आदि है।

ये भी जाने

पहली बार हवाई जहाज में यात्रा करने जा रहे हैं तो इन बातो का जरूर ध्यान रखें

पासपोर्ट क्या होता है? पासपोर्ट के बारे पूरी जानकारी

केदारनाथ मंदिर में दर्शन करने का समय-Timings to visit Kedarnath Temple in hindi

केदारनाथ मंदिर के कपाट प्रातः कालीन 5:00 बजे भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं।दोपहर में 3:00 बजे से लेकर 5:00 बजे के बाद कपाट बंद कर दिए जाते हैं इस दौरान भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है शाम को 5:00 बजे के बाद दोबारा कपाट भक्तों के दर्शनों के लिए खोल दिए जाते हैं। शाम 7:30 बजे भगवान शिव की विशेष आरती की जाती है। यह आरती भारत में कन्नड़ भाषा में की जाती है। रात्रि 8:30 पर मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

केदारनाथ मंदिर के कपाट कब खुलते हैं एवं कब बंद होते हैं?-When do the doors of Kedarnath temple open and when do they close in hindi
kedarnath dhaam image
image credit by pixabay

ओमकारेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी के द्वारा महाशिवरात्रि के दिन केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि घोषित की जाती है।संभवत अप्रैल मई के महीने में केदारनाथ मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शनों के लिए खोल दिए जाते हैं।

केदारनाथ मंदिर के कपाट दिवाली के 1 दिन बाद संभवत बंद कर दिए जाते हैं। जो 6 महीने तक बंद रहते हैं। समूचा केदारनाथ बर्फ से ढक जाता है।

केदारनाथ कैसे पहुंचे?(how to reach kedarnath temple in hindi?)
how to reach kedarnath by road image
image credit by pixabay

दोस्तों अगर आप केदारनाथ की यात्रा करना चाहते हैं तो आपको दिल्ली मुंबई भारत के किसी भी शहर से सबसे पहले हरिद्वार या फिर ऋषिकेश पहुंचना होगा। ऋषिकेश या हरिद्वार पहुंचने के बाद आपको यहां से नियमित तौर पर बसे गौरीकुंड पहुंचा देती है। गौरीकुंड से ही पैदल यात्रा प्रारंभ होती है। जो केदारनाथ धाम तक पहुंचती है।

हवाई परिवहन से केदारनाथ कैसे पहुंचे?

अगर आप हवाई जहाज से केदारनाथ पहुंचना चाहते हैं तो यहां का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून है देहरादून के जौलीग्रांट हवाई अड्डे से नियमित तौर पर प्राइवेट कैब और बसे केदारनाथ के लिए चलती हैं। वर्तमान समय में यात्रियों की सुविधा को देखते हुए जौलीग्रांट हवाई अड्डे से नियमित हेलीकॉप्टर सर्विस चालू की गई है जो सीधा केदारनाथ तक पहुंचा देती है। जिस का किराया भी न्यूनतम रखा गया है।

सड़क यातायात से केदारनाथ कैसे पहुंचे?

अगर आप सड़क यातायात के माध्यम से केदारनाथ पहुंचना चाहते हैं तो सबसे पहले आप हरिद्वार ऋषिकेश पहुंचना होगा। हरिद्वार और ऋषिकेश से आपको हर घंटे बस सुविधा मिलेगी जो आपको गौरीकुंड तक पहुंचा देगी गौरीकुंड से आपकी केदारनाथ की यात्रा पैदल ही होती है।

ट्रेन से केदारनाथ कैसे पहुंचे?

ट्रेन से अगर आप केदारनाथ जाना चाहते हैं तो निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और हरिद्वार है। ऋषिकेश और हरिद्वार से नियमित बसें आपको केदारनाथ पहुंचा देगी।

केदारनाथ यात्रा पर जाने से पहले ध्यान देने योग्य जरूरी सावधानियां और टिप्स-Important precautions and tips to keep in mind before going on Kedarnath Yatra in hindi

  • केदारनाथ की यात्रा पर अगर आप जाना चाहते हैं तो 12 वर्ष के कम बच्चों के साथ केदारनाथ की यात्रा ना करें।
  • उन लोगों को केदारनाथ की यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है जिनको चलने में ज्यादा तकलीफ या असुविधा होती है।
  • जो लोग चलने में असमर्थ है उनके लिए पिट्ठू या पालकी के द्वारा केदारनाथ की यात्रा कराई जाती है हालांकि यह खर्चीली होती है।
  • केदारनाथ की यात्रा पर जाने से पहले गौरीकुंड से प्रातः जल्दी यात्रा शुरू करें।
  • गौरीकुंड से यात्रा प्रारंभ करने के पश्चात आपको केदारनाथ तक पहुंचने में 5 से 6 घंटे का समय लग सकता है।
  • केदारनाथ मंदिर अधिक ऊंचाई पर स्थित होने के कारण वहां पर ऑक्सीजन की मात्रा में कुछ कमी होती है इसलिए सलाह दी जाती है कि अस्थमा या सांस के मरीज अपने साथ जरूरी दवाइयां लेकर ही यात्रा करें।

केदारनाथ से प्रमुख शहरों की दूरी (kedarnath se pramukh shaharo ki doori in hindi )

नई दिल्ली से केदारनाथ की दूरी 254 किलोमीटर

मुंबई से केदारनाथ की दूरी 1929 किलोमीटर

लखनऊ से केदारनाथ की दूरी 955 किलोमीटर

कानपुर से केदारनाथ की दूरी  902 किलोमीटर

अहमदाबाद से केदारनाथ की दूरी 1070 किलोमीटर

हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी 248 किलोमीटर

केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी 215 किलोमीटर

ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी 212 किलोमीटर

देहरादून से केदारनाथ की दूरी 258 किलोमीटर

अन्य लेख

रेलवे टिकट कैसे बुक करें ?

अमरनाथ की यात्रा की सम्पूर्ण जानकरी

माँ वैष्णो देवी यात्रा के बारें में सम्पूर्ण जानकरी

बेंगलुरु में घूमने जानें लायक सबसे अच्छी जगहें

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*