
सती अनुसुइया मंदिर चित्रकूट धाम
सती अनुसुइया मंदिर और परमहंस आश्रम बेहद भव्य तरीके से बनाया गया है। सामने स्थित मंदाकिनी नदी और घने जंगलों को देखने पर मन प्रसन्न हो जाता है। मंदाकिनी नदी के ठीक सामने स्थित है अनुसुइया मंदिर जिन्हें हम परमहंस आश्रम के रूप में जानते हैं। यह मंदिर ऊंची पहाड़ी के किनारे पर बना हुआ है। इस मंदिर के बाहर और अंदर का नजारा बेहद ही सुहावना होता है आप यहां पर जाकर अपने आप को प्रकृति के सबसे करीब महसूस करते हैं आइए हम सती अनसूया मंदिर के विषय में आपको विस्तार से बताते हैं

सती अनुसुइया मंदिर
सती अनुसुइया मंदिर चित्रकूट में स्थित है यह पवित्र मंदिर परमहंस आश्रम के नाम से भी जाना जाता है इस आश्रम के कुछ दूरी पर ही सती अनुसुइया जी का पवित्र आश्रम स्थित है। सती अनसूया जी त्रिदेव ऋषि अत्रि की पत्नी थी।
सती अनुसुइया कौन थी?
सती अनुसुइया त्रिदेव पति ऋषि अत्रि की पत्नी थी। जिन्होंने अपने पति के साथ कठोर तपस्या करके अनेक सिद्धियां अर्जित कर ली थी। उनका पुत्र विश्व में अपना नाम कमाने में सफल रहा जिसका नाम दत्तात्रेय था।
सती अनसूया की कहानी
सती अनुसुइया जी की कहानी बहुत ही दिलचस्प है वह महरिशी अत्रि जी की पत्नी थी जिन्होंने की तपस्या करके अनेक सिद्धियांअर्जित कर ली थी एक बार त्रिदेव यानी कि ब्रह्मा जी विष्णु जी और महेश जी ने सती अनुसूया जी की परीक्षा लेने की कोशिश की और ऋषियों के रूप में सती अनुसुइया जी के सामने प्रकट हुए। सती अनसूया ने ऋषि यों के अवभागत की सारी तैयारी की और अपनी तरफ से ससम्मान भोजन के लिए आमंत्रित किया। परंतु ऋषियों ने कहा कि वह भोजन तभी करेंगे जब वह उन्हें अपनी जांघ पर बैठा कर भोजन कराएंगी इससे सती अनसूया नाराज हो गई और उनके तेज के कारण पूरी पृथ्वी में कोलाहल मच गया। उन्होंने ऋषियों को अपने तपोबल से 6 महीने के बालक के रूप में परिवर्तित कर दिया हर एक झूले पर लिटा दिया। कुछ समय पश्चात बालकों को तेजी से भूख लग गई और वह भूख के मारे छटपटाने लगे। तब नारद ने तीनों देवियों को इसकी सूचना दी और तीनों देवियों ने सती अनुसुइया से अपने अपने देवों को फिर से उसी रूप में वापस लाने की विनती की। जिनके अनुरोध पर सती अनुसुइया जी ने तीनों बालको अर्थात ब्रह्मा जी विष्णु जी और महेश जी को बाल्यावस्था से मुक्त कर दिया।
सती अनुसूया जी ने ही वनवास काल के दौरान माता सीता जी को पति धर्म का ज्ञान कराया था। जिस ज्ञान की बदौलत माता सीता रावण की कुदृष्टि से हमेशा बची रहती थी।
माता सती अनुसुइया जी ने ही अपनी कठोर तपस्या से चित्रकूट में मंदाकिनी नदी को अवतरित कराया था। मंदाकिनी नदी को गंगा नदी की बहन के रूप में भी जाना जाता है।

सती अनुसूया मंदिर या परमहंस आश्रम
मंदाकिनी नदी के ठीक सामने स्थित सती अनसूया मंदिर जिन्हें हम परमहंसी आश्रम के नाम से जानते हैं यह बेहद भव्य मंदिर है। इस मंदिर के द्वार पर भगवान इंद्र द्वारा दिया गया श्री रामचंद्र जी का रथ बनाया गया है जिस पर श्री रामचंद्र की सुंदर प्रतिमा विराजमान है। मंदिर के प्रवेश द्वार के थोड़ा सा आगे ही प्राचीन शिवलिंग स्थित है इस शिवलिंग की परिक्रमा करने के पश्चात भी लोग मंदिर में प्रवेश करते हैं यह मंदिर 3 मंजिला इमारत का बना हुआ है। इस मंदिर में कई प्राचीन साधु संतों की समाधिया बनी हुई है इन समाधियों की परिक्रमा और दर्शन करने के पश्चात् सभी भक्त लोग ऊपर स्थित अनसूया जी की मंदिर के तरफ बढ़ते हैं। तीसरे तल पर माता सती अनसूया का बेहद भव्य और खूबसूरती से सजाई हुई मूर्ति है। यह मूर्ति देखने में इतनी सुंदर प्रतीत होती है कि ऐसा लगता है कि हम मूर्ति नहीं कोई सजीव महिला है। बस कभी भी बोल सकती हूं। मंदिर के प्रांगण में सती अनसूया जी के सीता के द्वारा दिए हुए उपदेश और रामायण को छोटी-छोटी मूर्तियों और लेखन के द्वारा चित्रित किया गया है। परमहंसी मंदिर में आपको आकर यहां की सुंदर भव्य मूर्तियों का चित्रण देखकर मन प्रसन्न हो जाएगा। ठीक से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है सती अनसूया जी का आश्रम जहां पर वह निवास करती थी।
सती अनुसूया आश्रम कैसे पहुंचे?
निकटतम रेलवे स्टेशन
चित्रकूट धाम कर्वी
निकटतम बस स्टेशन
चित्रकूट
निकटतम हवाई अड्डा
इलाहाबाद और खजुराहो।
हमारी सलाह
दोस्तों अगर आप चित्रकूट धाम की यात्रा पर हैं और सती अनुसूया आश्रम जाना चाहते हैं तो सबसे बेहतर विकल्प यह रहेगा कि आप रामघाट पर जाकर चार धाम के लिए टेंपो या ऑटो कर ले जो कि प्रति व्यक्ति मात्र ₹100 लेते हैं यह ऑटो वाले आपको चित्रकूट के प्रमुख चार धामों की यात्रा करवाते हैं यात्रा लगभग 4 से 5 घंटे में पूरी हो जाती है। इन यात्राओं में वह आपको कामतानाथ जानकी कुंड, गुप्त गोदावरी, सती अनुसुइया, स्फटिक शिला, आदि जगहों पर घूम आते हैं।
आपको हमारी जानकारी कैसी लगी आप अपनी कमेंट बॉक्स में राय जरूर दें इसके अलावा आपको चित्रकूट धाम में क्या क्या खास लगा यह भी बताएं?
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